जयपुर. विधानसभा सत्र के पहले दिन सरकार द्वारा सदन में विश्वास मत प्रस्ताव रखे जाने के दौरान सदन से गायब हुए चार भाजपा विधायकों को आगामी 20 अगस्त को पार्टी नेतृत्व ने जयपुर में तलब किया है. इन चारों ही विधायकों से नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर सतीश पूनिया पक्ष जानेंगे. यदि उनके जवाब से पूनिया और कटारिया सहमत नहीं हुए तो संभवत: इन विधायकों के खिलाफ पार्टी के स्तर पर कार्रवाई भी हो सकती है.
गुलाबचंद कटारिया से खास बात नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने ईटीवी भारत से खास बातचीत के दौरान बताया कि पार्टी के स्तर पर इन विधायकों से बहुत बड़ी गलती हुई है, लेकिन यह गलती जानबूझकर हुई है या अनजाने में यह अब पार्टी के स्तर पर जांचा जाएगा. हालांकि कटारिया ने यह भी अंदेशा जताया कि पार्टी की ओर से विधानसभा में विधायकों को व्हिप जारी होने के बावजूद यदि विधायक गैर हाजिर रहते हैं और फोन पर भी उनसे संपर्क नहीं हो पाता तो यह कहीं ना कहीं अपने आप में बड़ी गंभीर बात है.
20 अगस्त को विधायक तलब, जवाब से असंतुष्ट होने पर होगी कार्रवाई...
कटारिया के अनुसार मामला अपने आप में गंभीर है और इसकी हकीकत जानना बेहद जरूरी है. यही कारण है इन विधायकों को जयपुर तलब किया गया है. कटारिया ने यह भी साफ कर दिया कि यदि जवाब से यदि लगा कि यह तमाम घटनाक्रम जानबूझकर किया गया है तो निश्चित तौर पर इन विधायकों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की प्रक्रिया भी अपनाई जाएगी. कटारिया ने कहा कि पहले इन चारों विधायकों से व्यक्तिगत रूप से वे मिलेंगे और पार्टी प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर सतीश पूनिया भी इनसे अलग-अलग बात कर इनका जवाब लेंगे.
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ये चार विधायक रहे सदन से गायब...
गौरतलब है कि 14 अगस्त को विधानसभा सत्र के पहले दिन बीजेपी के चार विधायक सदन की कार्यवाही के बीच ही गायब हो गए. इसमें आसपुर विधायक गोपीचंद मीणा, गढ़ी विधायक कैलाश मीणा, घाटोल विधायक हरेंद्र निनामा और धरियावाद विधायक गौतम मीणा का नाम शामिल है. हालांकि इस दिन सुबह विधानसभा में हुई बीजेपी विधायकों की बैठक में चारों ही विधायक शामिल हुए थे और सुबह सत्र के दौरान भी सदन में नजर आए लेकिन दोपहर बाद यह विधायक सदन से गायब हो गए. जिनमें एक विधायक की तबीयत खराब होना बताई गई जबकि दूसरे के पारिवारिक मित्र की मौत होने का हवाला दिया जा रहा था. तभी से इन चारों विधायकों के गायब होने पर पार्टी के भीतर ही सवाल उठने लगे और यह बात भी सामने आई कि कहीं ना कहीं इस घटनाक्रम से पार्टी की भीतर गुटबाजी को हवा मिली है.