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1984 में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर अनुकंपा नौकरी लेने का आरोप, स्वायत्त शासन विभाग से सेवानिवृत्ति की बजाए कार्रवाई की मांग - Rajasthan hindi news

साल 1984 में सरकारी मापदंडों के अनुसार अपात्र होते हुए भी अनुकंपा नौकरी पाने का मामला सामने आया था. जिसमें बीते साल 2021 में याचिकाकर्ता संजय शर्मा की रिट पर हाईकोर्ट ने स्वायत्त विभाग को 84 दिनों के भीतर मामले का निस्तारण करने के निर्देश दिए थे. यहां जानिए क्या है पूरा मामला...

Accused of taking compassionate job on basis of forged documents in 1984
याचिकाकर्ता संजय शर्मा

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Published : Jun 26, 2022, 5:41 PM IST

Updated : Jun 26, 2022, 6:06 PM IST

जयपुर. साल 1984 में सरकारी मापदंडों के अनुसार अपात्र होते हुए भी अनुकंपा नौकरी पाने का मामला सामने आया था. इसे लेकर बीते साल याचिकाकर्ता संजय शर्मा की रिट पर हाईकोर्ट ने स्वायत्त शासन विभाग को 84 दिन की अवधी में मामले का निस्तारण करने के निर्देश भी दिए थे और इसी साल 13 जनवरी को विभाग ने अनुकंपा नौकरी पाने वाले गुरदीप सिंह को एपीओ भी किया. हालांकि, गलत तरीके से सरकारी सेवा में नियुक्ति लेने का दोषी पाए जाने के बावजूद विभाग 30 जून को गुरदीप सिंह को सेवानिवृत्ति देने जा रहा है. ऐसे में याचिकाकर्ता संजय शर्मा ने सेवानिवृत्ति की बजाए गुरदीप सिंह पर कार्रवाई की मांग की है.

स्वायत्त विभाग गुरदीप सिंह को सेवानिवृत्ति का लाभ देने पर तुला : हनुमानगढ़ से एपीओ चल रहे गुरदीप सिंह को स्वायत्त शासन विभाग सेवानिवृत्ति कर पूरा लाभ देने पर तुला है. दरअसल, गुरदीप सिंह ने अपनी माता के निधन के बाद हनुमानगढ़ टाउन में अनुकंपा के आधार पर 1984 में सरकारी सेवा में नियुक्ति प्राप्त की थी. इसके लिए गुरदीप सिंह ने अपनी माता नक्षत्र कौर की मृत्यु के बाद उन पर आश्रित होने के फर्जी दस्तावेज तैयार कराए, जबकि उसके पिता चंद सिंह उस समय सरकारी सेवा में थे. जो सेवानिवृत्त होकर फिलहाल पेंशन पा रहे हैं. वहीं परिवार में चंद सिंह का बड़ा बेटा पीडब्ल्यूडी विभाग हनुमानगढ़ में कनिष्ठ अभियन्ता के पद पर मौजूद था. इस पर भादरा निवासी संजय कुमार शर्मा ने 26 जुलाई 2021 को एक रिट हाईकोर्ट में दायर की. जिसका निस्तारण करते हुए हाईकोर्ट ने 26 जुलाई 2021 को आदेश पारित कर 84 दिनों में मामले का निस्तारण करने के लिए स्वायत्त शासन विभाग को कहा.

याचिकाकर्ता संजय शर्मा का बयान

पढ़ें:राजस्थान हाईकोर्ट: मृतक आश्रितों को अनुकंपा नियुक्ति नहीं देने पर मांगा जवाब

कोर्ट ने पूरे मामले में 4 हफ्ते कार्रवाई कर दस्तावेज पेश करने का का आदेश दिया : इस पर विभाग ने 84 दिनों की अवधि के बाद भी किसी प्रकार का कोई जवाब नहीं दिया. बाद में याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट के आदेश के अनुपालन नहीं होने पर कन्टेप्ट लगाई. इस पर हाईकोर्ट ने प्रकरण पर 4 हफ्ते में कार्रवाई कर दस्तावेज पेश करने का आदेश दिया. ऐसे में स्वायत्त शासन विभाग ने 14 जनवरी 2022 को अपनी जांच रिपोर्ट उच्च न्यायालय में पेश की. इसमें 10 नवंबर 2021 को 16 सीसीए का नोटिस गुरदीप सिंह को दिया गया. जिसकी जांच अब तक भी पूरी नहीं की गई है.

स्वायत्त विभाग ने अनुकंपा आश्रित नौकरी अपात्र मानते हुए रिपोर्ट पेश की : जबकि 13 जनवरी 2022 को विभाग ने गुरदीप सिंह को अनुकंपा आश्रित नौकरी में अपात्र मानते उच्च न्यायालय में अपनी रिपोर्ट पेश की थी. इसमें उच्च न्यायालय के आदेशों के बावजूद स्वायत्त शासन विभाग ने गुरदीप सिंह को नगर पालिका बालोतरा में नियुक्ति आदेश भी दे दिए थे. वहीं, अब विभाग गुरदीप सिंह को सेवानिवृत्त करने पर तुला है. ऐसे में याचिकाकर्ता ने विभाग से गुरदीप सिंह को सेवानिवृत्त का लाभ देने की वजह है कार्रवाई करने की मांग की है.

तर्क है कि मृतक आश्रितों की भर्ती नियम 1975 के बिंदु संख्या 5 और 6 की पालना नहीं की गई. आदेश क्रमांक 15 (7) कार्मिक का 2 क /86/515 में 11 मार्च 1987 के नियमों में पिता के रहते कोई माता पर आश्रित नहीं हो सकता है.

Last Updated : Jun 26, 2022, 6:06 PM IST

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