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Party Switchers Of Rajasthan: कम नहीं है प्रदेश के 'आया राम गया राम' वालों की तादाद, दल बदलुओं का भी है लम्बा इतिहास - Switching Party

राजेन्द्र गुढ़ा के एक बयान ने प्रदेश में आया राम गया राम पॉलिटिक्स को फिर सुर्खियों में ला खड़ा किया है. राजनीति जिसमें Ideology नहीं बल्कि फायदे के हिसाब से सेट होने में माननीय यकीन रखते हैं हालांकि इसमें भी कुछ अपवाद है.

Party Switchers Of Rajasthan
कम नहीं है प्रदेश के 'आया राम गया राम' वालों की तादाद

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Published : Jul 20, 2022, 2:37 PM IST

Updated : Jul 20, 2022, 3:03 PM IST

जयपुर.राजस्थान में बसपा से कांग्रेस में 2 बार शामिल हुए और दोनों बार गहलोत सरकार में मंत्री बनने वाले राजेंद्र गुढ़ा ने यह कहकर हर किसी को चौंका दिया है, कि वह कांग्रेस सरकार बचाने में तो शामिल रहे लेकिन अब भी वह कांग्रेस में 'सेट' नहीं हो सके हैं. गुढ़ा ऐसे नेता हैं जो अकसर विवादित बोलों को लेकर सुर्खियों में बने ही रहते हैं. राजनीतिज्ञ हैं जानते हैं कि उनका फायदा तीन कोणों का एक कोण बने रहने में ही है. जानते हैं कि बाकी दो कोणों पर भाजपा और कांग्रेस रही तो तीसरे पे मौजूद रहकर ही ट्रायंगल कम्पलीट होगा और उनके हाथ सफलता लगेगी. बयानों से तो साफ है कि भले में कांग्रेसी मंत्री हैं लेकिन चुनाव के वक्त अपना रास्ता अलग कर लेंगे. वैसे गुढ़ा की तरह आया राम गया राम वाले माननीयों की कमी इस प्रदेश में पहले भी नहीं रही है और शायद आगे भी ऐसी व्यवस्था बनी रहेगी.

ऐसे party Switchers की फेहरिस्त लम्बी है जो मौका ताड़ कर दूसरे दल में शिफ्ट हो गए और फिर जैसे ही सूबे की राजनीति ने पलटी खाई तो उन्होंने भी रुख बदल लिया. इनमें से कई नेता ऐसे भी हैं जिन्होंने अपनी पार्टी से Exit करने के साथ दूसरी में Entry मारी तो फिर उसमें रम गए खुद को बड़ी मजबूती के साथ स्थापित कर लिया. लेकिन ऐसों की भी कमी नहीं जो अपनी पार्टी छोड़ दूसरी पार्टी में तो गए लेकिन सेट नहीं हो पाए और वापस अपनी पुरानी पार्टियों में लौट गए.

ज्यादातर नेता जी सफल: राजस्थान में कांग्रेस, भाजपा, बहुजन समाज पार्टी या फिर जनता दल के विधायक समय-समय पर ऐसे उदाहरण सामने आते रहे हैं जिसमें नेताओं, विधायकों ने राजनीतिक फायदे के लिए पार्टियां बदली भी और उन्हें पूरा फायदा भी मिला. हालांकि ऐसों में से कुछ को नुकसान भी झेलना पड़ा. इनमें से ज्यादातर नेता सफल भी साबित हुए.

नेता सफल लेकिन पार्टी!: फिलहाल राजस्थान में दो पार्टियों का दबदबा है. सालों से सत्ता का तबादला इनमें से किसी एक के बीच होता रहा है. इन्हें स्विच ओवर का खामियाजा नहीं भुगतना पड़ा लेकिन कुछ पार्टियां हैं जो नेस्तनाबूद होने की कगार पर हैं. दल बदलुओं की वजह से प्रदेश में अब तक बड़ा नुकसान अगर किसी पार्टी को हुआ है तो वो बहुजन समाज पार्टी और जनता दल है. बहुजन समाज पार्टी के विधायक 2008 और 2018 में अपनी पूरी पार्टी का ही विलय कांग्रेस में कर चुके हैं.

इन विधायकों को सत्ता का सुख तो लगातार मिल रहा है, लेकिन इनकी मूल पार्टी बहुजन समाज पार्टी कहीं नजर नहीं आती. ऐसा ही कुछ जनता दल के लिए कहा जा सकता है. राजेंद्र राठौड़ और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. चंद्रभान जैसे नेता भी जनता दल की उपज हैं. इस पार्टी से विधायक भी बने और मंत्री भी. लेकिन बाद में इन्होंने अपनी पार्टियां बदल लीं. आज इसका फायदा भी इन्हें मिल रहा है तो वहीं जनता दल का अस्तित्व समाप्त हो गया है.

पढ़ें-Political Dynasties in Rajasthan : एक ही फैमिली के कई सदस्य पार्टी चुनी अलग-अलग, परिवारवाद या वंशवाद आखिर इन्हें कहें तो कहें क्या?

अपनी मूल पार्टी छोड़ी और दूसरी पार्टी में आज बड़े पदों पर
दूसरी पार्टी में आज बड़े पदों पर
दूसरी पार्टी में आज बड़े पदों पर
दूसरी पार्टी में आज बड़े पदों पर
दूसरी पार्टी में आज बड़े पदों पर
दूसरी पार्टी में आज बड़े पदों पर
दूसरी पार्टी में आज बड़े पदों पर

बसपा से कांग्रेस में आकर पद लेने वाले विधायक नेता
बसपा से कांग्रेस में हुए शामिल
बसपा से कांग्रेस में पधारे
बसपा से कांग्रेस में पधारे
बसपा से कांग्रेस में पधारे
बसपा से कांग्रेस में पधारे
बसपा से कांग्रेस में पधारे
बसपा से कांग्रेस में पधारे
बसपा से कांग्रेस में पधारे

कांग्रेस छोड़ी अब भाजपा में
अभिनेष महर्षि
कांग्रेस छोड़ी अब भाजपा में

भाजपा से कांग्रेस में किया स्विच
भाजपा से कांग्रेस में किया स्विच

पार्टी बनाने के बाद फिर घर वापसी
घर वापसी
घर वापसी

पार्टी तो बदली लेकिन असफल
पार्टी तो बदली लेकिन असफल
पार्टी तो बदली लेकिन असफल
पार्टी तो बदली लेकिन असफल
पार्टी तो बदली लेकिन असफल
पार्टी तो बदली लेकिन असफल
पार्टी तो बदली लेकिन असफल
पार्टी तो बदली लेकिन असफल

Last Updated : Jul 20, 2022, 3:03 PM IST

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