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Rajasthan Budget 2022 : कम से कम 200 यूनिट बिजली फ्री करे सरकार, गरीबों के साथ ना करे मजाक : AAP - Rajasthan Hindi News

राजस्थान का नया बजट तो पेश हो गया, लेकिन आम आदमी पार्टी (AAP on Gehlot Government Budget) का कहना है कि आम बिजली उपभोक्ताओं को प्रदेश सरकार कम से कम 200 यूनिट तक फ्री बिजली दे. आप के प्रदेश सह प्रभारी खेमचंद जागीरदार ने कहा है कि सीएम अशोक गहलोत ने बिजली के मामले में आम आदमी पार्टी की नकल तो की, लेकिन आधे मन से और बिना दिमाग इस्तेमाल किए.

AAP on Gehlot Government Budget
आम आदमी पार्टी ने साधा गहलोत सरकार पर निशाना...

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Published : Feb 23, 2022, 10:54 PM IST

जयपुर. गहलोत सरकार के फ्री बिजली बाले 'तोहफे' पर आम आदमी पार्टी ने निशाना साधा है. आप ने कहा कि फ्री बिजली के नाम पर गरीबों के साथ मजाक ना करे गहलोत सरकार. वहीं, आप के प्रदेश सह प्रभारी खेमचंद जागीरदार ने कहा कि 100 यूनिट बिल वाले को 50 यूनिट फ्री दी जाएगी, ये छूट नहीं देने की मंशा है. कमसे कम 200 यूनिट फ्री की जानी चाहिए, क्योंकि फ्री बिजली की घोषणा के जरिए प्रदेश सरकार (Aam Aadmi Party Rajasthan Alleged Gehlot Government) गरीबों के साथ केवल मजाक कर रही है.

वहीं, आम आदमी पार्टी राजस्थान के प्रदेश सचिव देवेंद्र शास्त्री ने कहा है कि मुख्यमंत्री ने फ्री बिजली के नाम पर गरीब परिवारों का मजाक बनाया है. चार से पांच सदस्यों वाला कौन सा परिवार है जो केवल 100 यूनिट बिजली से काम चलाता है ? शायद न के बराबर. इस छूट का कोई अर्थ नहीं है. आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में 300 यूनिट पूरी तरह फ्री दी हैं, जिससे बड़ी संख्या में गरीब परिवारों को राहत मिली है.

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लेकिन सीएम गहलोत ने महज 50 यूनिट बिजली फ्री उनको देने की घोषणा की है, जिनका बिल 100 यूनिट का होगा. सरकार उन उपभोक्तओं की संख्या बताए, जिनका बिल 100 यूनिट तक रहता है. शायद न के बराबर. सच ये है कि गहलोत सरकार (Political Reactions on Rajasthan Budget) गरीबों को फ्री बिजली देने के पक्ष में नहीं हैं. इसलिए न नौ मन तेल होगा और ना ही राधा नाचेगी, वाली कहावत चरितार्थ की गई है. देवेंद्र शास्त्री ने कहा कि किसानों के लिए अलग से बजट बनाया गया है, लेकिन दिया कुछ भी नहीं.

किसानों को सबसे बड़ी राहत बिजली की मिलनी चाहिए थी, वो नहीं दी गई. सिंचाई, जल संरक्षण, कृषि तकनीक और शिक्षा पर खर्च बढ़ाने की जरूरत है. इस दिशा में सरकार के कदम पीछे हट रहे हैं. उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य के क्षेत्र में सरकारी अस्पतालों की कार्यप्रणाली सुधारने पर कोई जोर नहीं है, लिहाजा निजी अस्पतालों और डॉक्टर्स की लूट बदस्तूर जारी रखने की इजाजत दे दी गई है. आधारभूत शिक्षा के क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन की जरूरत है. उस पर बजट में कुछ भर्तियों की रस्म पूरी की गई है.

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