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स्पेशलः गुजरात से पहले जयपुर में भी बनी थी गरीबी छुपाने के लिए दीवार

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अहमदाबाद दौरे से पहले वहां झुग्गी झोपड़ियों को छुपाने के लिए दीवार खड़ी की जा रही है. 2014 में भी अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के दौरे के दौरान जयपुर में भी प्रशासन ने कच्ची बस्ती को छुपाने के लिए दीवार खड़ी कर कलाकृतियां बना दी थी. इस दीवार के पीछे रहने वाली हजारों जिंदगियां आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है.

डोनाल्ड ट्रंप अहमदाबाद दौरा, पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन जयपुर दौरा, Former President Bill Clinton visits Jaipur
गरीबी छुपाने की दीवार

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Published : Feb 18, 2020, 11:26 PM IST

जयपुर.अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के अहमदाबाद दौरे से पहले वहां बनी झुग्गी झोपड़ियां छुपाने के लिए दीवार खड़ी की जा रही है. कुछ यही नजारा वर्ष 2014 में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के दौरे के दौरान जयपुर में देखने को मिला था.

गरीबी छुपाने की दीवार

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 24 फरवरी को अहमदाबाद आने वाले हैं. जानकारी के अनुसार अहमदाबाद में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और पीएम नरेंद्र मोदी का रोड शो होगा और जिस मार्ग से वो गुजरेंगे वहां 500 से ज्यादा झुग्गी झोपड़ियां हैं. इन झुग्गी झोपड़ियों को छुपाने के लिए अहमदाबाद नगर निगम वहां 7 फीट ऊंची दीवार खड़ी कर रहा है.

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जयपुर में भी बनी थी दीवार

बता दें कि कुछ ऐसा ही नजारा वर्ष 2014 में पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के दौरे के दौरान जयपुर में देखने को मिला था. उस समय कठपुतली नगर कच्ची बस्ती को छुपाने के लिए प्रशासन ने भवानी सिंह मार्ग पर 15 फुट ऊंची दीवार खड़ी कर दी थी और दीवार पर कलाकृतियां बना दी गई थी. वैसे ये दीवार देखने में काफी सुंदर और अद्भुत लगती हैं, लेकिन इस दीवार के पीछे बसी हजारों जिंदगियां के लिए ये किसी जेल से कम नहीं है.

कचरों का ढ़ेर और गंदी गलियां बनी पहचान

कचरों का ढ़ेर, गंदी गलियां और हजारों की संख्या में झुग्गी झोपड़ियां कठपुतली नगर कच्ची बस्ती की पहचान बन गई है. लेकिन इसके बावजूद भी प्रशासन इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है. यही वजह है कि यहां मूलभूत सुविधाओं का अभाव है. यहां सड़क, सीवरेज, स्वच्छता और पानी की समस्या सालों से बनी हुई है. बारिश के दिनों में तो यहां हालात बद से बदतर हो जाते हैं.

हर बार टूटते हैं नेताओं के वादे

कठपुतली नगर निवासियों की मानें तो हर बार चुनाव के दौरान यहां लोगों को लुभावने वादे कर वोट मांग लिए जाते हैं और उसके बाद वादों को भूल जाते हैं. क्षेत्रीय निवर्तमान पार्षद अनिल शर्मा ने बताया, कि कठपुतली नगर कच्ची बस्ती को लेकर कोर्ट में केस चल रहा है, जिसका अब तक कोई फैसला नहीं हो पाया है.

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शर्मा ने बताया, कि कोर्ट की ओर से कोई फैसला नहीं आने के कारण यहां कोई विकास कार्य नहीं किया जा सका है. हालांकि शहर को ओडीएफ बनाने के दृष्टिकोण से 120 टॉयलेट जरूर बनवाए गए हैं.

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गौरतलब है कि कठपुतली नगर कच्ची बस्ती के पुनर्वास करने या वहां सुविधाएं मुहैया कराने का मामला कोर्ट में जरूर है, लेकिन हालातों में अभी तक कोई सुधार नहीं हुआ है. बहरहाल, क्षेत्रीय प्रशासन कच्ची बस्तियों को देश के अतिथियों से छुपाने के लिए हर बार दीवार खड़ी कर देते हैं. लेकिन असल में इस दीवार के पीछे वो अपनी नाकामी छुपा रहे होते हैं.

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