जयपुर. प्रदेश में जलदाय विभाग के तहत आने वाले 23 हजार टयूबवेल्स और 4 हजार खुले कुओं से प्रतिवर्ष भू-जल के दोहन की तुलना में वाटर रिचार्ज की स्थिति का वास्तविक आंकलन करने के लिए अध्ययन कराया जाएगा. साथ ही राज्य में नए नलकूपों की खुदाई से पहले और बाद में पानी के रिचार्ज, जल बचत और संरक्षण के महत्वपूर्ण विषय पर फोकस करने की दृष्टि से अपनाई जाने वाली आवश्यक बातों के बारे में स्टैंडर्ड गाइडलाइन तैयार की जाएगी.
प्रमुख शासन सचिव राजेश यादव ने मंगलवार को झालाना स्थित डब्ल्यूएसएसओ के कार्यालय में आयोजित जलदाय और भू-जल विभाग की समीक्षा बैठक में अधिकारियों को इस बारे में निर्देश दिए. उन्होंने जलदाय विभाग के अधिकारियों से कहा कि, वो इस अध्ययन में भू-जल विभाग के अधिकारियों का सहयोग लें. साथ ही उन्होंने कहा कि, जलदाय विभाग का प्राथमिक दायित्व है कि, ये पूरे प्रदेश में पेयजल के समुचित प्रबंधन के साथ ही जल की बचत, संरक्षण और लोगों को मितव्ययता के साथ इसके सदुपयोग के लिए जागरूक करने में अपनी भूमिका निभाएं. इसलिए ये जरूरी है कि विभाग के पास पूरे प्रदेश में अपने जल स्रोतों से भू-जल के दोहन और रिचार्ज की स्थिति का वास्तविक और अपडेटेड डाटा उपलब्ध हो.
पानी को लेकर मंथन
बैठक में प्रमुख शासन सचिव ने गर्मियों के लिए कलेक्टर्स को स्वीकृत की गई कंटीजेंसी राशि में से अब तक उपयोग में ली गई राशि, टैंकर्स से पानी की सप्लाई की दरों के अनुमोदन और स्वीकृत कार्यों की प्रगति की भी समीक्षा की. उन्होंने कहा कि, किसी भी जिले से अतिरिक्त राशि की मांग के प्रस्ताव प्राप्त होने पर उन्हें शीघ्रता से अनुमोदन किया जाए. उन्होंने जिलों में कंटीजेंसी प्लान के तहत स्वीकृत कार्यों को समय पर पूरा करने के भी निर्देश दिए, ताकि जनता को उनका समय पर वास्तविक लाभ मिल सके.
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जल परिवहन और हैंडपंप रिपेयर अभियान की समीक्षा
प्रदेश में वर्तमान में 27 शहरों में 1 हजार 962 टैंकर ट्रिप प्रतिदिन और 757 गांवों में 640 टैंकर ट्रिप प्रतिदिन के हिसाब से जल परिवहन किया जा रहा है. हैंडपंप रिपेयर अभियान के तहत 1 अप्रैल से अब तक शहरी क्षेत्र में 1 हजार 935 और ग्रामीण क्षेत्र में 14 हजार 675 हैंड पंपों की मरम्मत की जा चुकी है. इसके अलावा 3 हजार 271 हैंडपंप, 1894 ट्यूबवेल और 235 सिंगल फेज बोरवेल की स्वीकृति जारी की गई है. जिनमें से 361 हैंडपंप, 865 ट्यूबवेल और 66 सिंगल फेज बोरवेल की ड्रिलिंग का काम पूरा कर लिया गया है. आरओ और सोलर डीएफयू की स्थिति की समीक्षा के दौरान जानकारी दी गई कि, प्रदेश में स्थापित 3 हजार 5 आरओ संयत्रों में से 2 हजार 726 क्रियाशील हैं, जबकि 2 हजार 79 डीएफयू में से 2 हजार 14 ठीक तरह से काम कर रहे हैं.
प्रमुख शासन सचिव ने निर्देश दिए कि, फील्ड में कार्यरत अतिरिक्त मुख्य अभियंताओं को नियमित रूप से अपने क्षेत्र में स्थापित आरओ और डीएफयू की मॉनिटरिंग और बंद पड़ी इकाईयों को प्राथमिकता के आधार पर चालू कराने के लिए पाबंद किया जाए.
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रेन वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर्स‘ के 'इम्पैक्ट' का होगा सर्वे
यादव ने अधिकारियों को प्रदेश में अलग-अलग स्थानों पर बनाए गए 'रेन वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्चर्स' के 'इम्पैक्ट' और उनकी मौजूदा स्थिति का भी सर्वे करने के निर्देश दिए. उन्होंने कहा कि, इसके लिए किसी क्षेत्र विशेष का चयन कर वहां बने हुए ऐसे 'स्ट्रक्चर्स' की तकनीकी क्षमता और प्रभाव का अध्ययन करें. साथ ही पिछले दो सालों के डाटा का विश्लेषण करते हुए रिपोर्ट तैयार करें.
गुणवत्ता जांच के लिए बढ़ाए सैंपल कलैक्शन
प्रदेश में जलदाय विभाग के तहत पेयजल की गुणवत्ता पर फोकस करने के लिए ज्यादा से ज्यादा सैम्पल कलैक्शन और इसकी सतत जांच के निर्देश दिए. उन्होंने कहा, सभी जिलों में सैम्पल कलैक्शन की संख्या में बढ़ोतरी की जाए और इनकी जांच रिपोर्ट समयबद्ध तरीके से तैयार कर प्रस्तुत की जाए. इसके अलावा लोग भी निजी स्तर पर अपने यहां से पानी के नमूने लेकर किसी कनिष्ठ अभियंता कार्यालय में आए तो वहां उनका संकलन कर जांच के लिए भिजवाने और उनकी रिपोर्ट तैयार कर सम्बंधित को देने के लिए कार्य क्षमता में बढ़ोतरी की जाए. बैठक में जानकारी दी गई कि, पिछले सप्ताह में प्रदेश में बैक्टिरिया जांच के 1 हजार 355 सैम्पल लिए गए थे. जिनमें से 1 हजार 352 सही पाए गए हैं. इसी प्रकार कैमिकल जांच के 915 में से 737 और अवशेष क्लोरिन की जांच के 2 हजार 295 में से 2 हजार 292 सैम्पल सही पाए गए हैं.
अंतरविभागीय मुद्दों के लिए होगी उच्च स्तरीय बैठक...
यादव ने प्रदेश में चल रहे प्रोजेक्ट्स की समीक्षा करते हुए अधिकारियों से कहा कि, फर्मों से सम्बंधित प्रकरणों का नियत समय पर समाधान करें, ताकि परियोजनाओं के कार्य में बाधा ना आएं. उन्होंने राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, रेलवे, जल संसाधन विभाग, सार्वजनिक निर्माण विभाग, वन विभाग और विद्युत वितरण कम्पनियों के साथ बकाया अंतरविभागीय इश्यूज के बारे में भी अधिकारियों के साथ विस्तार से चर्चा की और ऐसी एजेंसीज के साथ चल रहे प्रमुख मुद्दों के समाधान के लिए उनकी अलग से बैठक भी बुलाने के निर्देश दिए.
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इन विषयों पर भी हुई चर्चा
बैठक में जल जीवन मिशन, अटल भू-जल मिशन की प्रोग्रेस, जायका, विश्व बैंक और एशियन विकास बैंक की मदद से संचालित प्रोजेक्टस, निर्धारित समय सीमा को पार कर चुके प्रोजेक्ट्स, विभागीय सम्पतियों की जियो टैगिंग, प्रदेश में स्थापित पानी के बिलों के नए फार्मेट, अभियंताओं और कार्मिकों की डीपीसी, ब्यूरो ऑफ वॉटर एफिशिएंसी और डब्ल्यूएसएसओ के कार्यों के बारे में भी विस्तार से चर्चा की गई.