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Special: दीवानगी ने बना दिया 'रेडियो घर'...जयपुर के इस शख्स के पास है अनूठा कलेक्शन

रेडियो के माध्यम से भारत की आजादी की घोषणा हुई थी. देश में इमरजेंसी लगी तो भी तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने रेडियो से ही इसका ऐलान किया. वर्तमान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी रेडियो के जरिए ही जनता से 'मन की बात' करते हैं. लेकिन जयपुर में एक ऐसी शख्सियत है जिन्होंने अपने आशियाने को ही 'रेडियो घर' बना दिया. पेश है विशेष रिपोर्ट.

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जयपुर में एक व्यक्ति की दीवानगी से बन गया 'रेडियो घर'

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Published : Nov 25, 2020, 6:59 AM IST

जयपुर.रेडियो के माध्यम से भारत की आजादी की घोषणा हुई. देश में इमरजेंसी लगी तो भी तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने रेडियो से ऐलान किया. वर्तमान में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी रेडियो के जरिए ही 'मन की बात' करते हैं. रेडियो के सहारे किसी का बचपन बीता तो किसी का बुढापा. लेकिन, रेडियो कभी अतीत नहीं बना. डिजिटल युग में स्मार्टफोन की वजह से हम सब की लाइफस्टाइल जरूर बदल गई है, जिससे रेडियो के प्रति लोगों की दीवानगी कम हो गई है.

हालांकि, रेडियो को चाहने वाले अब भी इसे सहेजकर रखे हुए हैं. रेडियो को सहेजकर रखने वाले जयपुर के विनय कुमार भी हैं. उन्होंने अपने आशियानें को ही 'रेडियो घर' बना दिया.भले ही आधुनिक वक्त में कहीं ना कहीं रेडियो का महत्व लोगों के बीच खत्म होता जा रहा है और घरों में रेडियो नजर नहीं आता. लेकिन, विनय कुमार अपने रेडियो घर में आजादी से पहले के बने विदेशी कंपनियों के रेडियो से लेकर दुनिया में सबसे रेयर माने जाने वाले रेडियो को संवारकर रखे हुए हैं.

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पहले लोग दिनभर समाचार और फिल्मी गीत-संगीत सुनने के लिए रेडियो के पास बैठा करते थे, लेकिन आज सभी के पास एंड्रॉयड फोन है और लोग पहले की तरह रेडियों नहीं सुनते. लेकिन, विनय कुमार के पास सैंकड़ों रेडियो का अनूठा कलेक्शन लोगों के लिए एक अजूबा बना हुआ है. उनके कलेक्शन को देखकर हर कोई दंग रह जाता है. विनय कुमार के पिटारे में आधुनिक तकनीक के साथ ही साल 1938 से लेकर 1975 तक के रेडियो के कई कलेक्शन मौजूद हैं, जिसमें कई तो अभी भी चालू हालात में है. रेडियो के अलावा विनय कुमार ने सबसे पुराने ट्रांजिस्टर, बायोस्कोप, टेलीफोन, हारमोनियम, चरखे, लालटेन, कैमरों और घड़ियों को भी सहेजकर रखा है.

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ईटीवी भारत से खास बातचीत में रेडियो प्रेमी विनय कुमार ने बताया कि वो अपने गांव लालसोट से पहली बार 1991 में पुराना रेडियो लेकर आए थे. इसके बाद रेडियो की ऐसी दीवानगी लगी कि शहर में कबाड़ी, हटवाड़े और यहां तक की लोगों से मांगकर रेडियो का इतना कलेक्शन कर लिया कि अब 200 से ज्यादा रेडियो मौजूद हैं. उन्होंने कहा कि आज वक्त बदल गया है और हम कई साल से चीजों को सहेजना भूल गए हैं.

रेडियो प्रेमी विनय कुमार के पास 80 साल पुराने रेडियो अब आर्ट इंस्टॉलेशन बन गए हैं. लोग रेडियो घर को देखने के लिए उनके आशियानें तक पहुंचते हैं. कहा जा सकता है कि आज उनका यह रेडियो कलेक्शन किसी धरोहर से कम भी नहीं है.

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