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SPECIAL REPORT: आर्थिक तंगी से जूझ रहे JCTSL के 800 चालक-परिचालक

कोरोना संकट के बीच जेसीटीएसएल के कर्मचारियों के सामने आर्थिक संकट खड़ा हो गया है. शहर में लो फ्लोर बसों के करीब 800 चालक-परिचालकों को जुलाई महीने तक की सैलरी ही मिली है. ऐसे में इन कर्मचारियों के सामने अब अपने घर का खर्चा चलाना भी मुश्किल हो गया है.

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जेसीटीएसएल के कर्मचारियों का घर चलाना हुआ मुश्किल

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Published : Oct 17, 2020, 6:48 PM IST

जयपुर. राजधानी की सिटी ट्रांसपोर्ट सेवा लो फ्लोर बसों का 21 मार्च की रात्रि से संचालन बंद हुआ था. कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लगाए गए लॉकडाउन के 4 महीने के लंबे अंतराल के बाद 23 जुलाई से दोबारा बसों का संचालन शुरू किया गया. लेकिन यात्रियों ने अब तक इन बसों से दूरी बना रखी है. जो लो फ्लोर बस चलाने वाले चालक और परिचालक के लिए भी परेशानी का सबब बना हुआ है.

जेसीटीएसएल के कर्मचारियों का घर चलाना हुआ मुश्किल

दरअसल, जेसीटीएसएल का रेवेन्यू सोर्स बसों में यात्रियों से मिलने वाला पैसा ही है. लेकिन बसों में यात्री नहीं आने के चलते रेवेन्यू भी जनरेट नहीं कर पा रहा. यही वजह है कि जुलाई के बाद से जेसीटीएसएल के 201 चालक और 599 परिचालकों को वेतन का भुगतान नहीं किया गया. जेसीटीएसएल कर्मचारियों ने बताया कि उनके आर्थिक हालात बेहद खराब है. पहले मार्च से जुलाई की सैलरी देरी से मिली. उसके बाद से अक्टूबर महीना आ गया, लेकिन वेतन भुगतान नहीं किया गया. कुछ कर्मचारियों ने बताया कि वो शहर के बाहर से जयपुर में काम करने आए हैं. ऐसे में घर का किराया और दूसरे खर्चे उधारी लेकर पूरे करने पड़ते हैं. सैलरी समय पर नहीं मिलने से कंगाली में आटा गीला के हालात बन गये हैं.

जेसीटीएसएल की लो-फ्लोर बस

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उधर, जेसीटीएसएल ओएसडी वीरेंद्र वर्मा ने बताया कि जेसीटीएसएल आर्थिक संकट से हमेशा से गुजरता आया है. लेकिन 4 महीने जब लो फ्लोर बसों का संचालन बंद रहा. चूंकि जेसीटीएसएल के रेवेन्यू का जरिया बसों का संचालन ही है. ऐसे रेवेन्यू बिल्कुल जनरेट नहीं हुआ. बावजूद इसके सरकार के सहयोग से और लोन लेकर कर्मचारियों को जुलाई तक की सैलरी दी गई है और अब जो अगस्त-सितंबर महीने की सैलरी ड्यू हो गई है, उसे देने का प्रयास किया जा रहा है. फिलहाल आरटीआईडीएफ से भी पैसा नहीं बचा है. यदि सरकार से इस फंड में पैसा मिलेगा तो कर्मचारियों को तुरंत सैलरी दे दी जाएगी.

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फिलहाल जेसीटीएसएल की यात्री भार से आय नहीं हो पा रही. यही वजह है कि शहर में फिलहाल 100 से भी कम बसें संचालित है. उनसे भी प्रतिदिन महज चार लाख रेवेन्यू इकट्ठा हो पा रहा है. जबकि पहले प्रतिदिन 18.5 लाख रुपए रेवेन्यू मिलता था. ऐसे में फिलहाल घाटे में चल रही जेसीटीएसएल के कर्मचारियों को अपनी सैलरी के लिए आरटीआईडीएफ में मिलने वाले पैसे का ही इंतजार करना होगा.

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