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राजस्थान के 10 आयोग में से 8 में पद खाली... PUCL ने उठाई नियुक्तियों की मांग - राजस्थान के आयोग खाली

राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में कांग्रेस सरकार को दो साल पूरे होने को हैं. लेकिन प्रदेश के 10 आयोग में से 8 आयोगों में पद खाली पड़े हैं. पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज ने इन आयोगों में खाली पद भरने की मांग उठाई है.

राजस्थान के आयोग खाली, Commission of Rajasthan vacant
राजस्थान के 10 आयोग में से 8 में पद खाली

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Published : Dec 12, 2020, 8:37 PM IST

जयपुर.राजस्थान में कांग्रेस की सरकार को बने दो साल पूरे होने को हैं. मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली इस सरकार के दो साल के कार्यकाल में कई आयोगों के पद रिक्त चल रहे हैं. राजस्थान के 10 आयोगों में से केवल महिला एवं बाल अधिकार आयोग और सूचना आयोग के ही पद भरे गए हैं. जबकि बाकी आठ आयोगों में पद रिक्त चल रहे हैं. पीपुल्स यूनियन फॉर सिविल लिबर्टीज राजस्थान ने बाकी बचे आयोगों में रिक्त पद भरने और गैर राजनीतिक पृष्ठभूमि के लोगों को इनमें जगह देने की मांग उठाई है.

राजस्थान के 10 आयोग में से 8 में पद खाली

पीयूसीएल की अध्यक्ष कविता श्रीवास्तव का कहना है कि राजस्थान में फिलहाल बाल अधिकारिता आयोग और सूचना आयोग में ही पद भरे हुए हैं, जबकि राज्य मानवाधिकार आयोग, राज्य महिला आयोग, अल्पसंख्यक आयोग, अनुसूचित जाति आयोग, अनुसूचित जनजाति आयोग, राज्य सफाई कर्मचारी आयोग, विमुक्त घुमंतू आयोग और राज्य विकलांग आयोग में अध्यक्ष और सदस्यों के पद रिक्त चल रहे हैं.

कविता श्रीवास्तव का कहना है कि सभी आयोग केंद्रीय कानून, राज्य कानून या संविधान के अनुच्छेद के तहत बनाए गए हैं. अल्पसंख्यक आयोग और विमुक्त घुमंतू आयोग राज्य के कार्यकारी आदेश के तहत बनाए गए हैं, लेकिन इन आयोगों में अध्यक्ष और सदस्यों के पद खाली होना दुर्भाग्यपूर्ण है. उनका कहना है कि सरकार को इनमें अध्यक्ष और सदस्यों की जल्द नियुक्ति करनी चाहिए. साथ ही उन्होंने स्वतंत्र और गैर राजनीतिक नियुक्तियों की मांग उठाई है.

इसके साथ ही उन्होंने जयपुर केंद्रीय कारागार में सजा काट रहे डॉ. हबीब खान की सजा माफ करने की भी मांग की है. हबीब खान को अजमेर टाडा कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. उनका कहना है कि हबीब खान बुजुर्ग कैदियों में से एक हैं और काफी बीमार हैं. वे अपनी देखभाल तक नहीं कर पा रहे हैं. इसलिए मानवीय आधार पर उन्हें रिहा करना चाहिए.

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उन्होंने राज्य सरकार के गृह विभाग द्वारा जारी उस आदेश को भी वापस लेने की मांग की है जिसमें बिना कलेक्टर की अनुमति सभा करने पर पाबंदी लगाई गई है. इसके साथ ही उन्होंने राज्य सरकार से मांग की है कि केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित सीएए कानून का प्रदेश सरकार विरोध करे.

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