जयपुर. प्रदेश के कई निजी कॉलेजों द्वारा भ्रष्टाचार का बड़ा मामला सामने आया है. जिसको लेकर कॉलेज निदेशालय ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के डीजी को पत्र भी लिखा है. निदेशालय ने इन कॉलेजों की जांच पर आपराधिक प्रकरण दर्ज करते हुए एसीबी को पत्र भेजा है जिसमें कहा गया है कि तथ्यों को छिपाकर इन कॉलेजों ने सरकार से अधिक अनुदान उठा लिया जो आर्थिक आपराधिक कृत्य की श्रेणी में आता है.
71 कॉलेजों ने निदेशालय से लिया देय राशि से अधिक अनुदान दरअसल, कॉलेज निदेशालय के अधीन आने वाले 71 पूर्व अनुदानित कॉलेजों ने देय राशि से अधिक अनुदान लेकर राजकोष को हानि पहुंचाने के मामले में सरकार के निशाने पर आ गए हैं. बता दें कि इन संस्थाओं को 15 फरवरी 2012 तक राज्य सरकार से अनुदान मिलता था. इसके बाद इन संस्थाओं के कर्मचारियों का आरवीआरईएस नियम 2010 के तहत राज्य सेवा में समायोजित कर दिया गया था. इसके बाद सरकार ने इनको अनुदान देना बंद कर दिया था. वहीं, अब अनुदान बंद होने के 7 साल बाद इन कॉलेजों का अनुदान उठाने के मामले में फर्जीवाड़ा उजागर हुआ है.
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आयुक्तालय ने पत्र में कहा है कि नियमों के आधार पर राज्य सेवा में नियुक्ति होने से पहले के बकाया भुगतान के लिए राज्य सरकार जिम्मेदार नहीं थी. लेकिन, बकाया राशि के भुगतान की मांग को लेकर कई कर्मचारी कोर्ट चले गए थे. कोर्ट के अनुदान की जांच और सत्यापन के बाद कर्मचारियों को भुगतान के निर्देश दिए थे. इन निर्देशों की पालना में इन कॉलेजों के रिकॉर्ड की जांच की गई. राजस्थान गैर सरकारी शैक्षिक संस्था अधिनियम 1989 के नियम 1993 के अनुदान से संबंधित विभिन्न प्रावधानों के अंतर्गत जांच एवं सत्यापन किया गया.
वहीं, जांच में पाया गया कि इन संस्थाओं ने राजस्थान गैर सरकारी संस्था अधिनियम 1989 की धारा 31(2) एवं नियम 1993 की अवहेलना करते हुए विभिन्न वर्षो के दौरान मान्य आय की मदों को सम्मिलित नहीं किया, जिसमें संस्थाओं की ओर से तथ्यों को छिपाकर नियमानुसार राशि से अधिक अनुदान प्राप्त कर राजकोष को हानि पहुंचाई है. ये आर्थिक अपराध की श्रेणी में आता है. इस मामले पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में हुई बैठक में पिछले दिनों यह निर्णय लिया गया कि जिन संस्थाओं ने तथ्यों को छिपाकर राज्य सरकार से अधिक अनुदान प्राप्त किया है उनके खिलाफ आपराधिक कार्रवाई अमल में लाई जाए. इसके बाद कॉलेज आयुक्तालय ने जांच और सत्यापन की प्रतियां भेजते हुए एसीबी को इन संस्थाओं के खिलाफ जांच कर आपराधिक कार्रवाई के लिए पत्र लिख दिया.
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कॉलेज आयुक्त प्रदीप कुमार बोरड़ ने बताया कि कई कॉलेजों ने अपनी आय छुपाते हुए निदेशालय से देय राशि से अधिक पैसा उठाया है जो आपराधिक श्रेणी में आता है और इसकी जांच को लेकर निदेशालय एसीबी को पत्र लिखा है. जानकारी के अनुसार 71 पूर्व अनुदानित कॉलेजों ने निदेशालय से 96 करोड़ की अधिक राशि उठाई है. लेकिन इसी बीच कई कर्मचारी कोर्ट गए तो जांच में सामने आया कि निदेशालय को लगभग 55 करोड़ रुपये का भुगतान कर्मचारियों को करना है. लेकिन निदेशालय ने कहा कि भुगतान की राशि को कॉलेजों द्वारा ली गई अधिक राशि में से समायोजित कर लिया जाए. हालांकि, अभी एसीबी की जांच के बाद ही निष्पक्ष निर्णय आएगा.