जयपुर. राजधानी स्थित शहीद स्मारक पर 85 दिन से धरने पर बैठे कॉविड स्वास्थ्य सहायकों ने आज से भूख हड़ताल शुरू कर दी है. कोविड स्वास्थ्य सहायकों को कोरोना काल के समय राज्य सरकार ने मेरिट के आधार पर भर्ती कर इनको गांव-ढाणियों में टीकाकरण व जागरूकता अभियान चलाने आदि के लिए भर्ती किया था. इस दौरान कोरोना संक्रमण के चलते बहुत से स्वास्थ्य सहायकों की कोरोना से मृत्यु भी हो गई जिन्हें सरकार की ओर से कोई मुआवजा भी नहीं दिया गया.
अब कोरोना के बादल छंटने के बाद सरकार ने इन्हें कार्यमुक्त कर दिया. ऐसे में कोविड स्वास्थ्य सहायक स्थायी नियुक्ति देने की मांग को लेकर धरने पर हैं. इसी विरोध को और मजबूत करने के लिए 51 स्वास्थ्य सहायकों (51 Covid Health Assistant on Hunger strike) ने भूख हड़ताल शुरू की है.
भूख हड़ताल पर कोविड सहायक पढ़ें.पदमुक्त कोविड हेल्थ असिस्टेंट के धरने को सांसद मीणा का समर्थन, कहा- सरकार ने बेरोजगारों का किया अपमान
कोरोना काल के समय राज्य सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में बढ़ते कोरोना प्रसार को रोकने के लिए स्वास्थ्य विभाग में कॉविड स्वास्थ्य सहायकों की अस्थाई रूप से भर्ती की जिसके तहत इन्हें ₹7900 मानदेय के रूप में दिए जाते थे. लगभग आठ-नौ माह बाद कोविड-19 का प्रकोप कम होने के बाद इन्हें राज्य सरकार ने यह कहते हुए कार्य मुक्त कर दिया कि कोरोना काल के समय अस्थाई रूप से भर्ती किया गया था लेकिन अब कोरोना समाप्त होने के बाद सेवाएं भी समाप्त की जाती हैं.
पढ़ें.कोविड हेल्थ असिस्टेंट को पदमुक्त करने का मामला: नर्सिंग डे पर सीएचए की महापंचायत...धरना स्थल से करेंगे कूच
85 दिन से जयपुर के शहीद स्मारक पर बैठे सैकड़ों स्वास्थ्य सहायकों का कहना है कि सरकार ने कोरोना महामारी के दौरान हमें काम में लिया. हमारे बहुत से साथियों की कोरोना काल में ड्यूटी के दौरान मौत भी हो गई जिसका कोई मुआवजा भी नहीं दिया. सरकार से हमारी मांग है कि संविदा कैडर 2022 में हमें शामिल करें और रोजगार प्रदान करें जिससे हजारों कोविड स्वास्थ्य सहायकों के परिवार को आर्थिक और सामाजिक मजबूती मिल सके. स्वास्थ्य सहायकों का कहना है कि प्रदेश में 28000 स्वास्थ्य सहायकों के परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं.
गौरतलब है कि 85 दिन से धरने पर बैठे कॉविड स्वास्थ्य सहायकों ने आज भूख हड़ताल का एलान कर दिया है. 51 स्वास्थ्य सहायक भूख हड़ताल पर बैठ गए हैं. कोरोना काल के समय टीकाकरण व जागरूकता अभियान में स्वास्थ्य सहायकों ने अहम भूमिका निभाई थी जिसके बाद राज्य सरकार ने 1 अप्रैल से इन्हें कार्यमुक्त कर दिया. उसी के विरोध में लंबे समय से प्रदर्शन के माध्यम से सरकार के सामने अपनी मांगें रख रहे हैं.