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जयपुर में ट्रकों के फर्जी रजिस्ट्रेशन का पर्दाफाश, झालाना आरटीओ के कई अधिकारी शक के घेरे में

जयपुर पुलिस ने 45 ट्रकों के फर्जी रजिस्ट्रेशन का खुलासा किया है. पुलिस ने झालाना आरटीओ के एलडीसी और एक दलाल को गिरफ्तार किया है. पूछताछ में पता चला कि जिन ट्रकों का रजिस्ट्रेशन किया गया वो कभी राजस्थान आए ही नहीं. पुलिस को शक है कि इन ट्रकों का इस्तेमाल आपराधिक गतिविधियों में किया जा रहा है.

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जयपुर में ट्रकों के फर्जी रजिस्ट्रेशन का पर्दाफाश

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Published : Mar 19, 2021, 8:14 PM IST

जयपुर. पुलिस ने गुरुवार को एक बड़ी कार्रवाई को अंजाम देते हुए आरटीओ कार्यालय द्वारा 45 ट्रकों का फर्जी रजिस्ट्रेशन करने वाली गैंग का पर्दाफाश किया है. जयपुर पुलिस ने इस पूरी कार्रवाई को अंजाम देते हुए एक दलाल और आरटीओ के एलडीसी को गिरफ्तार किया है. आरोपियों से पूछताछ जारी है. पूछताछ में कई चौंकाने वाले तथ्य निकलकर सामने आए हैं. जिन्हें पुलिस वेरीफाई कर रही है. वहीं फर्जी रजिस्ट्रेशन के इस पूरे खेल में झालाना आरटीओ कार्यालय के कई अधिकारी और कर्मचारियों की संलिप्तता भी पाई गई है. जिन 45 ट्रकों का फर्जी रजिस्ट्रेशन किया गया है. उनका फिजिकल वेरिफिकेशन करने वाले आरटीओ अधिकारियों व कर्मचारियों के बारे में पुलिस जानकारी जुटा रही है.

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एडिशनल पुलिस कमिश्नर क्राइम अजय पाल लांबा ने बताया कि आरटीओ में चल रहे फर्जी रजिस्ट्रेशन के खेल का खुलासा तब हुआ जब फरवरी 2019 में एक ट्रक जिस पर लोन चल रहा था. उसका लोन 3 महीने में ही चुका कर उसका फिर से रजिस्ट्रेशन कराने का प्रयास किया गया. इसके दस्तावेज परिवहन विभाग के अधिकारियों के सामने आए और फिर उन्होंने इस पूरे प्रकरण की जांच करते हुए पिछले 2 वर्षों में जितने भी भारी वाहनों के रजिस्ट्रेशन किए गए हैं उनका ब्यौरा जुटाया. इस प्रकार से परिवहन विभाग के अधिकारियों की गई जांच में सामने आया कि झालाना आरटीओ कार्यालय द्वारा 300 भारी वाहनों का रजिस्ट्रेशन किया गया है. जिनमें से 45 वाहनों का फर्जी रजिस्ट्रेशन हुआ है.

जयपुर में ट्रकों के फर्जी रजिस्ट्रेशन का पर्दाफाश

प्रक्रिया को दरकिनार कर किया फिजिकल वेरीफिकेशन

लांबा ने बताया कि जिस भी ट्रक के रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन किया जाता है. उसके तमाम दस्तावेज लेकर आवेदनकर्ता को आरटीओ कार्यालय बुलाया जाता है. जिसमें कंपनी द्वारा ट्रक खरीदने पर दिए गए सेल लेटर, फिटनेस लेटर और इंश्योरेंस के पेपर की एक फाइल तैयार कर आरटीओ कार्यालय में लानी होती है. तमाम दस्तावेजों की प्रशासनिक अधिकारी जांच करते हैं. उसके बाद तमाम दस्तावेज सही पाए जाने पर वाहन का फिजिकल वेरिफिकेशन किया जाता है.

फिजिकल वेरिफिकेशन करने की जिम्मेदारी ट्रांसपोर्ट इंस्पेक्टर और प्रशासन अधिकारी की होती है. जिन्हें वाहन का चेचिस नंबर और इंजन नंबर भी जांचना होता है. वहीं 45 ट्रकों के फर्जी रजिस्ट्रेशन के प्रकरण में ऐसी किसी भी प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया. रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया को दरकिनार करते हुए आरटीओ के अधिकारी व कर्मचारियों ने फर्जी चेचिस नंबर और फर्जी इंजन नंबर के आधार पर ट्रकों का फर्जी वेरिफिकेशन कर दिया.

फर्जी वेरिफिकेशन वाले ट्रक कभी राजस्थान ही नहीं आए

झालाना आरटीओ कार्यालय द्वारा जिन 45 ट्रकों का फर्जी रजिस्ट्रेशन किया गया है. वह ट्रक कभी राजस्थान में लाए ही नहीं गए. ऐसे में फर्जी रजिस्ट्रेशन करने के बाद यह ट्रक किन लोगों को दिए गए हैं या गिरोह द्वारा बेचे गए हैं, इसकी कोई भी जानकारी अभी तक पुलिस के हाथ नहीं लगी है. जयपुर पुलिस के आलाधिकारियों का अंदेशा है कि फर्जी रजिस्ट्रेशन किए गए ट्रक विभिन्न राज्यों में आपराधिक गतिविधियों में प्रयोग में लिए जा रहे हैं.

पुलिस ने पूरे प्रकरण में दलाल नजीर अहमद और आरटीओ के एलडीसी जहांगीर खान को गिरफ्तार कर पूछताछ कर रही है. इस पूरे प्रकरण में आरटीओ के जो अधिकारी व कर्मचारियों की संलिप्तता सामने आई है, उनसे भी पुलिस पूछताछ कर रही है.

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