जयपुर.वैश्विक महामारी कोरोना काल के दौरान राजधानी जयपुर में 4 बाल श्रमिकों ने दम तोड़ा, लेकिन इस ओर सरकार की तरफ से बिल्कुल भी ध्यान नहीं दिया गया. ना ही बच्चों की मौत पर किसी भी राजनीतिक पार्टी या राजनीतिक पार्टी से जुड़े हुए नेताओं की ओर से कोई संवेदना जाहिर की गई. बच्चों से किसी भी राजनीतिक पार्टी को कोई लाभ नहीं होता है, जिसके चलते बच्चों की मौत को राजनीतिक मुद्दा नहीं बनाया गया.
हालांकि, कागजों में सरकार की ओर से बाल श्रमिकों के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं और राजस्थान को बालश्रम से मुक्त करने के लिए करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाए जा रहे हैं. लेकिन इसके बावजूद भी स्थिति कुछ और ही है.
राजस्थान की राजधानी जयपुर में बाल श्रम बेधड़क चल रहा है और प्रशासन की ओर से समय-समय पर कार्रवाई कर बाल श्रमिकों को मुक्त भी करवाया जाता है, लेकिन जिस स्तर पर कार्रवाई की जानी चाहिए उस स्तर पर कार्रवाई नहीं की जा रही है. बचपन बचाओ आंदोलन समिति के प्रोजेक्ट ऑफिसर देशराज सिंह ने बताया कि राजधानी जयपुर में बड़ी तादाद में अवैध रूप से चूड़ी बनाने और आरा तारी का काम करवाने के कारखानों का संचालन किया जा रहा है.
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राजधानी के शास्त्री नगर, भट्टा बस्ती, ब्रह्मपुरी, सांगानेर और विभिन्न इलाकों में किराए पर कारखाने चल रहे हैं, जहां पर बच्चों से बाल श्रम करवाया जा रहा है. सरकार की नाक तले राजधानी जयपुर में जब बाल श्रम की यह स्थिति है तो पूरे प्रदेश में किस पैमाने पर मासूमों को यातनाएं देकर बाल श्रम के दलदल में धकेला गया है, इसका अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता.
इन तारीखों पर हुई राजधानी जयपुर में बाल श्रमिकों की मौत...
बचपन बचाओ आंदोलन के प्रोजेक्ट ऑफिसर देशराज सिंह ने बताया कि राजधानी जयपुर में बाल श्रमिकों की मौत के 4 प्रकरण सामने आए हैं. जिसमें पहला प्रकरण भट्टा बस्ती थाना क्षेत्र में 13 जुलाई को सामने आया, जहां एक चूड़ी कारखाने में एक बाल श्रमिक की बीमारी के चलते मौत हो गई. वहीं, बाल श्रमिक की मौत का दूसरा प्रकरण 16 जुलाई को शास्त्री नगर थाना इलाके में सामने आया, जहां एक चूड़ी कारखाने में बाल श्रमिक ने बीमारी के चलते दम तोड़ दिया.
इसके बाद उसी कारखाने में एक अन्य बाल श्रमिक काफी बीमार स्थिति में मिला, जिसे पुलिस प्रशासन की ओर से एसएमएस अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां पर उसकी स्थिति बेहद खराब होने के चलते 4 अगस्त को उसकी मौत हो गई. वहीं बाल श्रमिक की मौत का चौथा प्रकरण भट्टा बस्ती थाना इलाके में 23 अक्टूबर को सामने आया, जहां एक चूड़ी कारखाने में बीमारी के चलते एक बाल श्रमिक ने दम तोड़ा.