जयपुर. राजस्थान में कोरोना महामारी के बाद रक्तदान का आंकड़ा घट गया है. जिसके कारण थैलेसीमिया और कैंसर रोग से पीड़ित मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. क्योंकि इन मरीजों को सबसे अधिक रक्त की आवश्यकता पड़ती है. रक्तदान से जुड़े विभिन्न एनजीओ का कहना है कि कोरोना के बाद रक्तदान के आंकड़ों का घटना चिंता का (Corona affected blood donation) विषय है. इसका कारण कोरोना को ही माना जा रहा है, क्योंकि कोरोना की चपेट में आ चुके तकरीबन 50 फीसद से अधिक लोगों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ा है.
रक्तदान को लेकर काम करने वाले एक एनजीओ के संचालक पंकज अग्रवाल का कहना है कि एनजीओ की ओर से राजस्थान में हजारों ब्लड डोनेशन कैंप (Blood donation in Rajasthan) आयोजित किए जाते हैं. कोरोना से पहले जहां एक ब्लड डोनेशन कैंप से तकरीबन 400 यूनिट ब्लड एकत्रित होता था. लेकिन कोरोना के बाद केवल 250 यूनिट तक ही ब्लड एकत्रित हो पा रहा है. पंकज का कहना है कि हमारी कोशिश रहती है कि अधिक से अधिक ब्लड डोनेशन करवाया जाए ताकि जरूरतमंद लोगों तक ब्लड पहुंच सके. उन्होंने बताया कि बल्ड की सबसे ज्यादा आवश्यकता थैलेसीमिया और कैंसर पीड़ित मरीजों को होती है.
प्रदेश के आंकड़ों की बात करें तो
- प्रदेश में सरकारी और प्राइवेट मिलाकर तकरीबन 151 से अधिक ब्लड बैंक मौजूद हैं.
- इनमें 56 ब्लड बैंक की स्टेट गवर्नमेंट, 5 सेंट्रल गवर्नमेंट और 90 से अधिक प्राइवेट ब्लड बैंक शामिल हैं.
- इन ब्लड बैंकों में हर साल तकरीबन 10 लाख यूनिट से अधिक ब्लड एकत्रित होता है.
- लेकिन कोरोना के बाद यह आंकड़ा 6 से 7 लाख यूनिट तक रह गया है.