जयपुर. राजधानी के जवाहर कला केंद्र की तीन दिवसीय कैलीग्राफी वर्कशॉप शुक्रवार को आरम्भ हुई. रविवार, 8 दिसंबर तक चलने वाली इस वर्कशॉप में विभिन्न आयु वर्ग व विभिन्न क्षेत्र से जुड़े लगभग 25 व्यक्ति और विद्यार्थी भाग ले रहे हैं. मुम्बई की मंजरी वर्डे द्वारा संचालित इस वर्कशॉप में शामिल अधिकांश प्रतिभागियों ने बताया कि वे कैलीग्राफी कला के बारे में पहले से नहीं जानते और इस कला के बारे जानकारी प्राप्त करने के लिए इस वर्कशॉप में भाग ले रहे हैं.
जेकेके में 3 दिवसीय कैलीग्राफी वर्कशॉप शुरू वर्कशॉप के उद्देश्य के बारे में बताते हुए किरण सोनी गुप्ता ने कहा कि अगली पीढ़ियों तक आर्ट शेयरिंग करके ही विभिन्न कलाओं को अक्षुण्ण रखा जा सकता है. कला केन्द्र का प्रमुख उद्देश्य है, जिसे पूरा करने के लिए ऐसे वर्कशॉप, एग्जीबिशन सहित कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. उन्होंने प्रतिभागियों से कहा कि आर्ट में अनंत संभावनाएं हैं और कैलीग्राफी का मात्र कलात्मक ही नहीं, बल्कि एन्त्रेप्रेनियूअल पहलू भी है.
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इस अवसर पर वर्कशॉप की मेंटोर मंजरी वर्डे ने प्रेजेन्टेशन के माध्यम से अपने कलात्मक कार्यों के बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि वे भारतीय वेदों में निहित मंत्र और श्लोकों पर आधारित कैलीग्राफी पर कार्य करती हैं. इनमें जबरदस्त एनर्जी होती है. उन्होंने कहा कि इस वर्कशॉप के दौरान प्रतिभागियों को संस्कृत श्लोकों, मंत्रों व दोहों के एस्थेटिक्स को विजुअल फॉर्मेट में परिवर्तित करना सिखाया जाएगा. उन्होंने बताया कि विदेशों में भी भारतीय मंत्रों एवं श्लोकों के प्रति काफी रुझान है.
वर्कशॉप के दौरान प्रतिभागियों को जेकेके पर शॉर्ट मूवी दिखाई गई और इंटरनेशनल पेंटिंग एग्जीबिशन ‘सेलिब्रेटिंग इंडियन लैग्वेजेज- 'द लर्निंग कर्व' का भ्रमण भी कराया गया. इस दौरान एग्जीबिशन क्यूरेटर किरण सोनी गुप्ता ने विभिन्न पेंटिंग्स के बारे में जानकारी दी. उल्लेखनीय है कि कैलीग्राफी वर्कशॉप में प्रतिभागियों को देवनागरी जैसे दिखने वाले 'ओम अक्षर' फोंट की जानकारी भी दी जाएगी. यह फोंट मंजरी द्वारा अंग्रेजी लिपि के संयोजन से बनाया गया है. इस फोंट के जरिए एक ही फ्रेम में पुरातन व आधुनिकता का समिश्रण होने से ऐतिहासिक होने का आभास होता है. वर्कशॉप के लिए आवश्यक सभी सामग्री जेकेके की ओर से उपलब्ध करवाई गई.