जयपुर. श्रमिकों को अपना खून-पसीना एक करना पड़ता है. तब जाकर उनके घर में एक समय का चूल्हा जलता है. आर्थिक रूप से पिछड़े इन श्रमिकों को संबल देने के लिए सरकार ने BOCW योजना से इन्हें जोड़ने के कोशिश रही लेकिन सबसे हैरान कर देने वाली बात ये है कि प्रदेश के कई जिलों में सरकारी कर्मचारी इन योजनाओं के पैसे डकार गए.
देश में कोरोना और लॉकडाउन के दौरान सबसे ज्यादा पलायन श्रमिकों का देखा गया है. सबसे ज्यादा प्रभावित कोई वर्ग इस दौरान नजर आया तो ये श्रमिक वर्ग ही है. श्रमिक दिन भर दो जून की रोटी के लिए कड़कड़ाती धूप, हाड़ कंपाती सर्दी में भी मेहनत मजदूरी करके अपना जीवन यापन करते हैं. वहीं सरकार इन श्रमिकों के लिए कई योजनाएं लेकर आती है.
विडंबना ये है कि सरकारी कर्मचारी ही श्रमिक बन कर इन श्रमिकों के हक पर डाका डाल देते हैं. ऐसा ही एक मामला राजस्थान के कई जिलों में देखने को मिला है. जहां श्रम विभाग ने 260 से अधिक कर्मचारियों को पकड़ा है. ये सरकारी कर्मचारियों ने फर्जी दस्तावेज बनाकर BOCW (द बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स) योजना के तहत श्रमिकों को मिलने वाली सहायता राशि उठा ली.
क्या है बीओसीडब्ल्यू योजना
1996 में भारतीय संसद ने श्रमिकों को संरक्षण और गरिमा प्रदान करने के लिए द बिल्डिंग एंड अदर कंस्ट्रक्शन वर्कर्स अधिनियम बनाया था. यह कानून यह आदेश देता है कि निर्माण कंपनियां निर्माण लागत पर न्यूनतम एक प्रतिशत सेस भुगतान करे. फिर यह पैसा BOCW अधिनियम के तहत पंजीकृत निर्माण श्रमिकों को आवंटित किया जाता है.
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बीमारी, शादी या किसी अन्य कार्य के समय आर्थिक तंगी के कारण श्रमिक कर्ज लेते हैं. ये कर्ज असंगठित क्षेत्र से लिए जाते हैं. ऐसे में श्रमिक कर्ज के जाल में फंस जाते हैं. इसलिए श्रमिकों की आर्थिक तंगी को दूर करने के लिए राजस्थान भवन निर्माण कर्मकार कल्याण मंडल ने निर्माण श्रमिकों के लिए इस योजना को प्रभावी बनाया था.
BOCW योजना के तहत निर्माण श्रमिकों को इन दशा में मिलता है लाभ
- सामान्य या दुर्घटना में मृत्यु होने पर
- घायल होने की दशा में
- मेधावी विद्यार्थियों को मिलता है नगद पुरस्कार
- दो बेटियां होने पर मिलती है सहायता राशि
- गंभीर बीमारी में चिकित्सा और पुनर्भरण योजना के तहत लाभ
- निजी आवास के लिए ऋण सहायता
- निशुल्क साइकिल योजना के तहत लाभ