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SMS अस्पताल में सफल ऑपरेशनः चिकित्सकों का दावा...10 करोड़ लोगों में एक को होती है ऐसी बीमारी

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Published : Jan 21, 2020, 7:36 PM IST

राजधानी के सवाई मानसिंह अस्पताल के चिकित्सकों ने डायाफ्रोमिक हर्निया जैसी रेयर बीमारी के दो सफल ऑपरेशन लेप्रोस्कोपी सर्जरी द्वारा किए हैं. जिसमें एक महिला और एक पुरुष शामिल हैं. ऑपरेशन के बाद दोनों ही मरीज एकदम स्वस्थ हैं.

डायाफ्रोमिक हर्निया का ऑपरेशन, Sawai Mansingh Hospital News
SMS हॉस्पिटल में हुए 2 जटिल ऑपरेशन

जयपुर. राजधानी के सवाई मानसिंह अस्पताल के चिकित्सकों ने एक दुर्लभ डायाफ्रोमिक हर्निया का ऑपरेशन किया है. अस्पताल के चिकित्सकों ने दावा किया है कि यह बीमारी 10 करोड़ लोगों में से एक व्यक्ति में पाई जाती है. एसएमएस अस्पताल के टीम ने दो सफल ऑपरेशन लेप्रोस्कोपी सर्जरी द्वारा किए हैं, जिसमें एक महिला और एक पुरुष शामिल है.

SMS हॉस्पिटल में हुए 2 जटिल ऑपरेशन

सवाई मानसिंह अस्पताल की सर्जरी यूनिट की हेड डॉक्टर सुमिता जैन ने बताया कि हमारी टीम ने डायाफ्रोमिक हर्निया जैसी रेयर बीमारी के दो सफल ऑपरेशन लेप्रोस्कोपी सर्जरी द्वारा किए हैं. जिसमें एक महिला और एक पुरुष शामिल है. उन्होंने बताया कि पहला मरीज 62 वर्ष जोहरी लाल मीणा है, जिसका ऑपरेशन 6 महीने पहले किया गया था और दूसरा मरीज 70 वर्षीय सायर कंवर है, जिसका ऑपरेशन 8 दिन पहले किया गया है. उन्होंने बताया कि ऑपरेशन के बाद दोनों ही मरीज एकदम स्वस्थ हैं.

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डॉक्टर सुमिता जैन ने बताया कि डायाफ्रोमिक हर्निया आमतौर पर छोटे बच्चों में पाया जाता है, लेकिन वयस्कों में इस तरह का हर्निया काफी दुर्लभ होता है. चिकित्सकों ने बताया कि डाईफार्मा पेट और छाती के बीच की एक झिल्ली है, जो फेफड़े और दिल को पेट की आंतों और जिगर से अलग रखती है. लेकिन इस हर्निया के कारण पेट का कोई भी अंग जैसे स्टमक बड़ी और छोटी आंत या जिगर इस डायफार्मा में छेद होने के कारण छाती में चला जाता है. इसके बाद मरीज को सांस लेने में दिक्कत होती है.

जैन ने बताया कि अगर सही समय पर इस बीमारी का इलाज नहीं किया जाए, तो छाती में पेट के अंग सड़ सकते हैं. यानि गैंग्रीन हो सकता है और यह जानलेवा होता है. उन्होंने बताया कि ऐसे ही 2 मरीज एसएमएस अस्पताल में भर्ती हुए जिनका इलाज अस्पताल के सर्जरी विभाग द्वारा किया गया.

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चिकित्सकों ने बताया कि पहले इस तरह की बीमारी के लिए छाती या पेट को काटकर ऑपरेशन किया जाता था, लेकिन अब लेप्रोस्कोपी सर्जरी के माध्यम से सिर्फ 2 या 3 छेद कर सफल ऑपरेशन किया जा सकता है. साथ ही चिकित्सकों ने यह भी दावा किया है कि लेप्रोस्कोपी सर्जरी का इस तरह का ऑपरेशन 1992 में विदेश में किया गया और इस बीमारी के केस भी बहुत कम रिपोर्टेड हुए हैं.

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