जयपुर.राजधानी में बालश्रम के मामले लगातार सामने आ रहे (Child labour cases in Jaipur) हैं. राजधानी के भट्टा बस्ती इलाके में मानव तस्करी विरोधी यूनिट नॉर्थ टीम ने बालश्रम के खिलाफ कार्रवाई को अंजाम देते हुए एक मकान में दबिश देकर 14 बाल श्रमिकों को मुक्त करवाया है. बच्चों से चूड़ी बनवाने का काम करवाया जा रहा (Child labour in bangle factory in Jaipur) था. पुलिस ने चूड़ी कारखाने में बाल श्रमिकों को बंधक बनाकर जबरन काम करवाने की सूचना पर कार्रवाई की.
जानकारी के अनुसार, बिहार से जयपुर लाकर मासूम बच्चों से 14 घंटे रोजाना काम करवाया जाता था. बच्चों को मानसिक और शारीरिक कष्ट दिया जा रहा था. बच्चों को सुबह 8 बजे चूड़ी बनाने के काम पर बैठा दिया जाता और रात 10 बजे तक जबरन काम करवाया जाता था. बच्चों की उम्र 10 से 15 वर्ष तक बताई जा रही है. चूड़ी कारखाने में गर्म लाख के चूड़े बनाते समय बच्चों के हाथ भी जल जाते थे. बच्चों ने पुलिस को बताया कि समय पर खाना भी नहीं दिया जाता था और कारखाने से बाहर भी नहीं निकलने दिया जाता था.
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बच्चों ने पुलिस को बताया कि ज्यादातर समय भूखा रखा जाता था. क्योंकि अगर भूखे रहेंगे, तो नींद नहीं आएगी और ज्यादा काम करेंगे. अगर बच्चे किसी भी बात का विरोध करते तो उनके साथ मारपीट भी की जाती थी. बच्चों को अच्छा काम दिलाने के बहाने बिहार से जयपुर लाया गया था. लेकिन यहां लाकर जबरन बंधक बनाकर चूड़ी बनाने का काम करवाया जा रहा था. मानव तस्करी विरोधी यूनिट के प्रभारी विनोद कुमार के मुताबिक मुखबिर की सूचना पर भट्टा बस्ती इलाके के संजय नगर में कार्रवाई को अंजाम दिया है. सूचना मिली थी कि मोहम्मद इम्तियाज, रिजवान और समीर शेख बच्चों के साथ मारपीट करके जबरन चूड़ी बनवाने का काम करवा रहे हैं.
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पुलिस ने दबिश देकर 14 बाल श्रमिकों को मुक्त करवाया है. तीनों आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज करके जांच पड़ताल शुरू कर दी गई है. बता दें कि इससे पहले भी जयपुर में कई बार बालश्रम के मामले पकड़े जा चुके हैं. जयपुर के भट्टा बस्ती और शास्त्री नगर इलाके में ज्यादातर बालश्रम के मामले पकड़े गए हैं. मासूम बच्चों के हाथों में किताबों की जगह चूड़ी कारखानों में गर्म लाख पकड़वा दी जाती है. ऐसे में पढ़ाई लिखाई से बच्चे वंचित हो जाते हैं और उनका भविष्य अंधकार में हो रहा है.