बीकानेर.राजस्थान की पुराने किले व हवेलियां देश में ही नहीं विदेशों में भी अपनी स्थापत्य कला के लिए जानी जाती है. इन्हें देखने के लिए पर्यटक यहां आते है, लेकिन इस प्राचीन धरोहर के रख रखाव की बदहाल व्यवस्था का जीता जागता बीकाजी की टेकरी उदाहरण है. जिसको बीकानेर के संस्थापक राव बीकाजी द्वारा बनाया गया. 1968 में संरक्षित स्मारकों की सूची में शामिल ये 16वीं शताब्दी का स्मारक आज उपेक्षा व विभागीय उदासीनता के चलते खंडहर मे तब्दील होने लगा है. बीकानेर के संस्थापक राव बीकाजी के इस ऐतिहासिक स्मारक की बदतर स्थिति है.
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ऐतिहासिक इमारत खंडहर में तब्दील
प्राचीन स्मारक व इमारतें हमें उस समय की कला और हमारे वैभवशाली इतिहास के साक्ष्य के रूप में देखने का मौका देता है. लेकिन वर्तमान में ऐसे कई स्मारक है जो सरंक्षित सूची में होने के बावजूद भी उपेक्षा का शिकार होने के कारण अपना पुरातन वैभव खो रही है. बीकानेर के संस्थापक राव बीकाजी की टेकरी जो सरंक्षित सूची में शामिल होने के बाद भी अपनी बदहाली के आंसू बहा रहा है. स्थानीय निवासी कहते हैं कि करीब 20 वर्ष पहले थोड़ा बहुत रंग रोगन हुआ था, लेकिन उसके बाद राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव व स्थानीय प्रशासन की अनदेखी के चलते यह ऐतिहासिक इमारत एक खंडहर में तब्दील होने की कगार पर है.
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52 साल बाद आज मूलभूत सुविधाओं का अभाव
बीकाजी की टेकरी कहने को तो सरंक्षित सूची में है लेकिन आज भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है. सूची में आने के 52 साल बाद आज तक ना तो यहां पानी की सुविधा है और ना ही बिजली की. यहीं नहीं चारों तरफ की दीवारें भी दरकने लगी है. हालत ये है कि ये दीवारें हवा का तेज झोंका भी बर्दाश्त करने की हालत में नहीं है. ऐसे में आने वाली पीढ़ी हमारे वैभवशाली इतिहास को कैसे जान पाएंगी.
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उदासीनता को दर्शाता अधिकारी का ऐसा बयान
वहीं बीकानेर में पुरातत्व विभाग के निरंजन पुरोहित से जब इस बारे में पूछा तो उन्होंने बीकाजी की टेकरी हमारी सरंक्षित सूची में शामिल है इसकी जानकारी देते हुए बताया कि हमने इसके जीर्णोद्धार को लेकर सरकार को बजट का प्रस्ताव भेजा है. वहीं लाइट पानी जैसी मूलभूत सुविधा पर कन्नी काटते हुए कहा की यह निगम के अधिकार क्षेत्र का विषय है. ऐसे में अधिकारी का इस तरह का बयान विभाग की उदासीनता को दर्शाता है.