बीकानेर. आश्विन शुक्ल माह की पूर्णिमा पर हर साल शरद पूर्णिमा का त्योहार काफी धूमधाम से मनाया जाता (Sharad Purnima 2022) है. शरद पूर्णिमा का हमारे शास्त्रों में विशेष महत्व है. शरद पूर्णिमा का ज्योतिषीय आधार पर गणना के अनुसार भी बहुत महत्व है. पंचागकर्ता राजेंद्र किराडू ने बताया कि शरद पूर्णिमा की रात संपूर्ण 16 कलाओं से युक्त रहती है. उन्होंने बताया कि ज्योतिष में शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा की 16 कलाएं होने की बात कही जाती है. इस दिन चंद्रमा भ्रमण करते हुए पृथ्वी के एकदम निकट आ जाता है. जिसके चलते चंद्रमा अपने पूर्ण स्वरूप यानी कि पूर्ण चंद्रमा हमें नजर आता है.
भगवान श्रीकृष्ण ने रचाई रासलीला: उन्होंने बताया कि शास्त्रों में इस बात का भी उल्लेख है कि भगवान श्री कृष्ण ने 16,000 गोपियों के संग शरद पूर्णिमा के दिन ही रासलीला रचाई थी. शरद पूर्णिमा के दिन मां लक्ष्मी कुबेर देवताओं के राजा इंद्र और ऐरावत की पूजा का शास्त्रों में उल्लेख मिलता है और लौकिक व्यवहार में भगवान हनुमानजी की पूजा होती है.
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