बीकानेर. बीकानेर का नाम सुनते ही जेहन में यहां के भुजिया का तीखापन और रसगुल्ले की मिठास याद आती है. देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में यहां के रसगुल्ले और नमकीन के जायके के शौकीन लोग हैं. लेकिन लॉकडाउन ने बीकानेर के इस कारोबार को भी काफी प्रभावित किया है.
लॉकडाउन में फीकी पड़ती रसगुल्ले की मिठास सात समंदर पार तक मांगः
बीकानेर की पहचान बन चुके रसगुल्ले और नमकीन के चाहने वाले देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में हैं. यही वजह है की बीकानेर देश के अलग-अलग हिस्सों के साथ ही सात समंदर पार भी बड़ी मात्रा में भुजिया और रसगुल्ले का निर्यात करता है. लेकिन लॉकडाउन के बाद पूरी तरह से बीकानेर में रसगुल्ला और भुजिया का उत्पादन बंद हो गया. देश और दुनिया की तो बात अलग है खुद बीकानेर के लोगों को भी भुजिया और रसगुल्ले के स्वाद से महीनों दूर रहना पड़ा.
लॉकडाउन में फीकी पड़ती रसगुल्ले की मिठास 400 से 500 यूनिटः
एक अनुमान के मुताबिक बीकानेर में भुजिया और रसगुल्ला की छोटी बड़ी मिलाकर करीब साढे़ 400 से 500 यूनिट हैं. लेकिन लॉकडाउन की वजह से कहीं भी किसी प्रकार का उत्पादन का काम नहीं हुआ. अब केंद्र सरकार ने और राज्य सरकार ने लॉकडाउन 4.0 में एडवाइजरी की पालना के साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग को ध्यान में रखते हुए औद्योगिक इकाइयों को चालू करने की अनुमति दी है. ऐसे में धीरे-धीरे अब कुछ इकाइयां चालू हुई हैं. हालांकि दूसरे उद्योग धंधों के साथ ही इस कारोबार से भी बड़ी संख्या में प्रवासी श्रमिक जुड़े हुए हैं. जो कि अब अपने घर जाना चाहते हैं या चले गए हैं. ऐसे में अब आने वाले 6 महीने तक यह कारोबार प्रभावित रहेगा.
क्या कहते हैं व्यापारीः
रसगुल्ले और भुजिया के उत्पादन कारोबार से जुड़े जगमोहन जोशी कहते हैं कि 2 महीने के लॉकडाउन के बाद काम शुरू किया है. लेकिन अब श्रमिक नहीं होने की समस्या सामने आ रही है. ऐसे में अब जो श्रमिक अपने गांव गए हैं वह आने वाले दो चार महीने तक वापस नहीं लौटेंगे. जिसके चलते उत्पादन पूरा नहीं होगा. फिलहाल 20 से 25 फीसदी ही उत्पादन हो रहा है.
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वहीं कारोबारी ऋषिमोहन कहते हैं कि रसगुल्ला इकाइयां धीरे-धीरे अपना काम शुरू कर रही हैं. हालांकि इसे पटरी पर आते-आते काफी समय लगेगा. वहीं भुजिया कारोबार में लघु उद्योग और बड़े औद्योगिक इकाइयां भी शामिल हैं. कोरोना के चलते भुजिया रसगुल्ला के कारोबार पर असर की बात बताते हुए कहते हैं कि बीकानेर में भुजिया रसगुल्ला और पापड़ का करीब 1 हजार करोड़ रुपए का कारोबार है. जो फिलहाल पूरी तरह से ठप्प है.
लॉकडाउन में फीकी पड़ती रसगुल्ले की मिठास दिवाली के त्योहार से है उम्मीदः
व्यापारियों का कहना है कि शादी विवाह के सीजन में नमकीन और मिठाइयों की मांग बढ़ जाती है. पर अब तो शादियों का सीजन भी बीत चुका है. व्यापारियों को अब आने वाले समय में दिवाली का त्योहार ही बड़ा है. लेकिन तब तक स्थितियां संभलती हुई नजर नहीं आ रही हैं. क्योंकि लोग अभी भी घरों से बाहर निकलने से बच रहे हैं. केवल आवश्यकता के हिसाब से ही सामान खरीद रहे हैं. ऐसे में अब बीकानेरी जायका तकरीबन 6 महीनों तक लोगों की जीभ से दूर रह सकता है.