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बीकानेरः गौशालाओं को तकनीकी संवर्धन से लैस करेगा राजस्थान वेटरनरी विश्वविद्यालय

प्रदेश की गौशालाओं में लगातार गोवंश की मौत की आती खबरें और अव्यवस्थाओं के बाद अब तकनीक के माध्यम से इन गौशालाओं के संवर्धन का काम किया जाएगा. इन गौशालाओं के संवर्धन की पहल प्रदेश के एकमात्र बीकानेर स्थित राजस्थान वेटरनरी विश्वविद्यालय ने की है. पायलट प्रोजेक्ट के रूप में 33 जिलों में हर जिले में एक गौशाला को विश्वविद्यालय स्तर पर गोद लिया जाएगा. इन 2 सालों में तकनीक के माध्यम से इनके संचालन को लेकर काम किया जाएगा.

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Published : May 28, 2020, 5:06 PM IST

गौशालाओं का तकनीकी संवर्धन, Technical promotion of cowsheds
गौशालाओं को तकनीक संवर्धन से लैस करेगा राजस्थान वेटरनरी विश्वविद्यालय

बीकानेर.प्रदेश की गौशालाओं में रह रहे गोवंश के रखरखाव में कई बार लापरवाही की खबरें सामने आती हैं. इन गौशालाओं में रह रहे गोवंश की असमय मौत की घटनाओं के बाद गौशालाओं के बेहतर संचालन और तकनीक के साथ संवर्धन को लेकर बीकानेर स्थित राजस्थान की एकमात्र पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय ने तकनीकी रूप से इसे गोद लेने की पहल की है.

गौशालाओं को तकनीक संवर्धन से लैस करेगा राजस्थान वेटरनरी विश्वविद्यालय

गौशालाओं का तकनीकी संवर्धनः

राजस्थान पशु चिकित्सा और पशु विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर विष्णु शर्मा ने बताया कि प्रदेश में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में 33 जिलों में हर जिले में एक गौशाला को विश्वविद्यालय स्तर पर गोद लिया जाएगा. इन 2 सालों में तकनीक के माध्यम से इनके संचालन को लेकर काम किया जाएगा. कुलपति शर्मा ने कहा कि विश्वविद्यालय के स्तर पर पशु वैज्ञानिक पशु चिकित्सक इन गौशालाओं में जरूरी संसाधनों और गौशाला संचालक के साथ मिलकर इसके रखरखाव का काम शुरू करेंगे. जिसके बाद तकनीकी संवर्धन के साथ इन गौशालाओं की स्थिति को सुधारा जाएगा.

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कुलपति शर्मा ने बताया कि इसके लिए राज्य सरकार के पशुपालन और गौ पालन विभाग के साथ मिलकर काम किया जाएगा. इसे लेकर विश्वविद्यालय स्तर पर पहल करते हुए राज्य सरकार को प्रस्ताव भिजवा दिए गए हैं. शर्मा ने कहा कि राज्य सरकार के स्तर पर इसकी सैद्धांतिक सहमति हो चुकी है. लेकिन कोरोना के चलते इन प्रस्तावों पर धरातल पर काम नहीं हुआ है. लेकिन अगले 3 महीनों में धरातल पर काम शुरू हो जाएगा.

शुरुआत में 15 जिलों में बने केंद्रों के माध्यम से गौशालाओं को चिन्हित कर गोद लेने और तकनीकी समाधान का काम शुरू किया गया. उन्होंने कहा कि गौशाला में बेहतर रखरखाव के साथ ही पशुओं को खिलाए जाने वाले चारे से लेकर गोवंश से उत्पादित पदार्थों के विपणन के साथ ही आर्थिक सहयोग दिलाने में भी विश्वविद्यालय अपनी भूमिका निभाएगा.

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