बीकानेर.पश्चिमी अफ्रीका के देश आइवरी कॉस्ट में जारी संयुक्त राष्ट्र के भूमि संरक्षण सम्बंधी सबसे बड़े वैश्विक सम्मेलन UNCCD COP-15 (UNCCD COP 15 in ivory coast) का आयोजन किया गया है. इस दौरान शनिवार को भूमि संरक्षण के सर्वोच्च पुरस्कार लैंड फॉर लाइफ अवॉर्ड के विजेता राजकीय डूंगर कॉलेज बीकानेर के एसोसिएट प्रोफेसर श्यामसुंदर ज्याणी का विशेष सम्मान किया गया. इस अवसर पर संयुक्त राष्ट्र ने ज्याणी की ओर से विकसित पारिवारिक वानिकी अवधारणा पर एक विशेष लघु डॉक्युमेंटरी प्रदर्शित की, जिसमें ये दर्शाया गया कि किस तरह से पारिवारिक वानिकी के विचार ने मरुस्थल में लाखों पेड़ लगाकर जमीनी स्तर पर सकारात्मक बदलाव को गति दी है.
कॉप सभी सरकारों का सम्मेलन होता है जो दो साल में एक बार आयोजित किया जाता है. इसमें सदस्य राष्ट्र संयुक्त (Bikaner Professor awarded for idea of Family forestry) राष्ट्र की भूमि संरक्षण सम्बंधी वैश्विक संधि पर हुई प्रगति, नई चुनौतियों और समाधान पर चर्चा करके नीतिगत निर्णय लेते हैं. इस सम्मेलन में ज्याणी को संयुक्त राष्ट्र ने विशिष्ट अतिथि के रूप में आमंत्रित करते हुए उच्च स्तरीय बैठकों का अनुभव लेने, विभिन्न पैनल डिस्कशन में शामिल होने और पारिवारिक वानिकी के विचार को दुनिया के साथ साझा करने का अवसर दिया.
शनिवार को चुनिंदा लोगों की उपस्थिति में आयोजित एक विशेष समारोह में ज्याणी को सम्मानित किया गया. उन्हें यूएनसीसीडी के कार्यकारी सचिव इब्राहीम थीयाव ने लैंड फॉर लाइफ अवॉर्ड का प्रमाण पत्र सुपुर्द किया गया. इस मौके पर ज्याणी ने कहा कि धरती हम सबकी मां है. देशज पौधों, घास और पेड़ों से सामुदायिक भागीदारी से ही भूमि का संरक्षण सम्भव है. थीयाव ने ज्याणी के विकसित पारिवारिक वानिकी को एक युगांतकारी विचार बताया और इसे आगे बढ़ाने का आह्वान किया.