बीकानेर.देश में सड़क सुरक्षा को लेकर सरकार गंभीर नजर आती है. हर साल होने वाले सड़क हादसों के ग्राफ को कम करने के लिए जागरूकता कार्यक्रम चलाए जाते हैं. लेकिन तमाम कोशिशें कमतर ही साबित होती हैं. हालांकि मोटर व्हीकल एक्ट के भारी जुर्माने के चलते अब लोग डर से ही सही ट्रैफिक रूल्स का पालन करने लगे हैं. देखिये यह रिपोर्ट...
सड़क पर दुर्घटनाएं होती रहती हैं. लेकिन अगर दुपहिया वाहन चालक हेलमेट लगाएं तो हादसों में जान गंवाने वालों की तादाद में कमी आ सकती है. बीकानेर में हेलमेट को लेकर जागरुकता की कमी देखने को मिलती है. साल 2019 में बीकानेर में बिना हेलमेट वाहन चलाने और चालान कटवाने वालों की संख्या 33 हजार 618 थी. कोरोना काल में साल 2020 में ये मामले गिरकर 4 हजार 910 पर आ गए. इस दौरान नए मोटर व्हीकल एक्ट के आने से भी लोगों ने हेलमेट को सिर के लिए न सही लेकिन जेब के लिए जरूर फायदेमंद समझा.
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बीकानेर में सड़क सुरक्षा को लेकर लगातार सरकारी स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं. पिछले साल अब सरकार ने नया मोटर व्हीकल एक्ट लागू कर दिया. इस नए एक्ट में भारी जुर्माने का प्रावधान किया गया है. मंशा यही है कि लोग सड़क पर चलते समय अपनी और दूसरों की सुरक्षा का खयाल करें और वाहन चलाते समय सावधानी बरतें.
प्रदेश के अन्य जिलों के मुकाबले बीकानेर में सड़क हादसों की संख्या कम होती है लेकिन हेलमेट को लेकर लोगों में जागरुकता भी बाकी शहरों के मुकाबले कम है. बीकानेर ट्रैफिक पुलिस के हेड कांस्टेबल प्रकाशचंद्र कहते हैं कि हम लोगों में हेलमेट को लेकर जागरूकता पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं. चेकिंग के दौरान इस बात का प्रयास भी करते हैं कि लोग हेलमेट की जरूरत को समझें, जागरुक रहें.
प्रकाशचंद्र ने माना कि नए मोटर व्हीकल एक्ट में बिना हेलमेट पाए जाने पर जुर्माना 1000 रुपए होने से लोग डरे से ही सही, लेकिन हेलमेट पहनने की आदत डाल रहे हैं. ट्रैफिक कांस्टेबल अशोक का कहना है कि बड़े शहरों की तुलना में बीकानेर में अभी भी हेलमेट लोगों की आदत में पूरी तरह नहीं आया है. बीकानेर ट्रैफिक इंस्पेक्टर प्रदीप चारण कहते हैं कि ट्रैफिक पुलिस का काम भी केवल जुर्माना वसूल करना नहीं है. बल्कि लोगों में सड़क हादसों की रोकथाम के लिए जागरूकता पैदा करना है.