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रेड अलर्ट : बीकानेर में हर साल सड़क हादसों में होती हैं 200 से अधिक मौतें...फिर भी सबक नहीं, देखें 'रियलिटी चेक' - बीकानेर में सड़क हादसे

बीकानेर में जितना भुजिया और रसगुल्ले बनते हैं उससे कहीं ज्यादा बिना हेलमेट वालों के चालान बनते हैं. बिना सीट बेल्ट वालों की तादाद तो रसगुल्लों की चाशनी से भी ज्यादा है. लेकिन इस मिठास को फीका करते हैं यहां होने वाले हादसे. देखिए बीकानेर से रियलिटी चेक...रेड अलर्ट

reality check of bikaner traffic, ईटीवी भारत रियलिटी चेक

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Published : Sep 23, 2019, 11:04 PM IST

बीकानेर. ईटीवी भारत की टीम ने बीकानेर में यातायात नियमों की पालनो को लेकर रियलिटी चेक किया. इसके लिए हमनें शहर के चार प्रमुख चौराहों को चुना और वहां की हलचल को कैद किया.

शहर का सबसे व्यस्त म्यूजियम चौराहा, उरमुल सर्किल, करमीसर तिराहा और मुरलीधर तिराहा की चार अलग-अलग तस्वीरें आप देख रहे हैं. पुलिस चाक-चौबंद दिखाई दी. जहां-जहां ट्रैफिक पुलिसकर्मी तैनात थे वहां-वहां लोग शालीनता से नियमों का पालन करते दिखे. लेकिन ये सच नहीं है. ऐसा शहर में हुए चालान के आंकड़े बताते हैं.

देखें बीकानेर के रियलिटी चेक...

चालान के आंकड़े

साल 2019 के अगस्त तक यातायात पुलिस कुल 52443 चालान काट चुकी है. जिसमें सबसे ज्यादा संख्या बिना हेलमेट वालों की 24413 है. वहीं बिना सीट बेल्ट के 10725 चालान, ड्रिंक विद ड्राइव के 472 चालान, ओवर स्पीड के 1752, ब्लैक फिल्म के 344 चालान हो चुके हैं.

बीकानेर में चालान के आंकड़े

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बीकानेर के दुर्घटना संभावित क्षेत्र

शहर के डेथ पॉइन्ट की बात करें तो शहर भर में 30 रेड बत्ती वाले सर्किल हैं. इनमें दुर्घटना संभावित यानी कि ब्लैक स्पॉटर्स की संख्या 8 है. इनमें गंगानगर चौराहा, उरमुल सर्किल चोराहा, म्यूजियम चौराहा, अंबेड़कर सर्किल, रानी बाजार ओवरब्रिज, जयपुर रोड़ बाइपास, करमीसर तिराहा और कोठारी मेडिकल तिराहा शामिल है. इन्हीं जगहों पर सबसे ज्यादा हादसे होते हैं.

बीकनेर में सड़क हादसों के आंकड़े

बीकानेर में हादसे

शहर भर में हादसों की संख्या भी कम नहीं है. साल 2017 में कुल 259 सड़क हादसे हुए जिनमें 190 लोगों की मौत हुई. साल 2018 में 255 सड़क हादसों में 199 और साल 2019 में अगस्त माह तक 333 सड़क हादसे हो चुके हैं जिनमें 203 लोगों की मौत हो चुकी है.

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बड़े महानगरों के मुकाबले बीकानेर में ट्रैफिक पॉइंट और वाहनों की अनुपातिक संख्या कम है. बिना हेलमेट और बिना सीट बेल्ट का चलन यहां आम है. यातायात व्यवस्था में तैनात एक ट्रैफिक पुलिसकर्मी ने बताया कि हम समझाइश के पूरे प्रयास करते हैं

सड़क पर चलने वाला आम आदमी सुरक्षित ढंग से अपने गंतव्य तक पहुंचे यह जिम्मेदारी खुद उस व्यक्ति की है क्योंकि वह खुद नियम की पालना करेगा तो अपने आप सिस्टम भी बन जाएगा. लेकिन यातायात नियमों की पालना करवाने के लिए ट्रैफिक पुलिस को कानून का भय और जुर्माने का डर दिखाना पड़ रहा है. ब्यूरो रिपोर्ट ईटीवी भारत

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