बीकानेर. विजयादशमी का पर्व दशहरा भगवान राम की ओर से रावण की वध करने और बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता (Dussehra 2022) है. विजयादशमी के मौके पर शस्त्र पूजन भी होता है. लेकिन इसके पीछे की वजह क्या है इसको लेकर पचांगकर्ता पंडित राजेंद्र किराडू ने बताया कि शस्त्र पूजन का अभिप्राय और परंपरा रावण के वध के बाद ही शुरू हुई है.
राम ने पूजन कर देवताओं को लौटाए थे शस्त्र: पंडित किराडू ने बताया कि राम और रावण के बीच युद्ध लंबा चला और समस्त देवी देवताओं ने अपने विशेष अस्त्र और शस्त्र भगवान राम को रावण के वध के लिए दिए थे और जब रावण का वध हो गया तब भगवान श्रीराम ने इन शस्त्रों का पूजन कर वापिस उन देवताओं को लौटाया था. इन शस्त्रों में देवी-देवताओं ऋषि-मुनियों की ओर से दिए किए गए शस्त्र शामिल थे और तभी से दशहरे पर शस्त्र पूजन की परंपरा चली आ रही है. वे कहते हैं कि इन्हीं अस्त और शास्त्रों से भगवान राम ने रावण का वध कर युद्ध में विजय प्राप्त की थी.
पढ़ें:Dussehra 2022: आज दिख जाए ये पक्षी तो समझो किस्मत चमकने वाली है