राजस्थान

rajasthan

ETV Bharat / city

SPECIAL : यहां अनूठी होली ने खूनी संघर्ष को बदल दिया प्रेम में....बीकानेर में 350 साल से खेली जा रही डोलची होली

फाल्गुनी मस्ती के पर्व होली के मौके पर बीकानेर में कई ऐसी परंपराएं हैं जो कई शताब्दियों से चली आ रही हैं. इन्हीं में एक परंपरा है डोलची पानी खेल. कभी दो जातियों के बीच हुए खूनी संघर्ष का पटाक्षेप करने के लिए शुरू हुई ये कवायद अब परंपरा में बदल चुकी है. होली के मौके पर हर साल इसमें दोनों जातियों के लोग बड़ी शिद्दत के साथ शिरकत करते हैं.

Dolchi Holi played in Bikaner for 350 years,  Dolchi Holi in Bikaner,  Bikaner old traditions
डोलची होली अनूठी परम्परा है बीकानेर की

By

Published : Mar 28, 2021, 6:59 PM IST

बीकानेर. फाल्गुनी मस्ती के सतरंगी त्योहार के रूप में होली की पहचान है. होली के मौके पर महज केवल एक दिन के लिए नहीं बल्कि कई दिनों तक बीकानेर होली की मस्ती में रहता है. वैसे तो बीकानेर में हर त्यौहार को अपने ढंग से अलग तरह से मनाने का चलन है. लेकिन होली के मौके पर डोलची खेलने का यह चलन कुछ अलग ही है. देखिये यह रिपोर्ट...

हर्ष और व्यास का संघर्ष और डोलची होली

बीकानेर में होली से जुड़ी कई परंपराएं सदियों से निभाई जा रही हैं. हर साल लोग इन परंपराओं को बड़ी शिद्दत से निभाते हैं. ऐसी ही एक परंपरा बीकानेर के पुष्करणा समाज की दो उपजातियों व्यास और हर्ष के संघर्ष से जुड़ी है.

चमड़े के बने बर्तननुमा वस्तु जिसे डोलची कहा जाता है. होली के मौके पर दोनों जातियों के बीच डोलची से पानी का खेल खेला जाता है. जिसमें एक दूसरे की पीठ पर डोलची में पानी भर कर फेंका जाता है. हालांकि पीठ पर जब पानी का वार पड़ता है तो दर्द भी बहुत होता है. लेकिन कभी दो जातियों के बीच हुए संघर्ष को मिटाने की याद में परंपरा के रूप में निभाए जाने वाले इस त्योहार में पीठ पर होने वाले दर्द को सहन हुए लोग इसमें भागीदारी करते हैं.

डोलची होली अनूठी परम्परा है बीकानेर की

पढ़ें- होली विशेष : बाधाओं से हैं परेशान, तो इस होलिका करिए इनका समाधान

आयोजन में भागीदारी करने वाले हर जाति के युवा बुलाकीदास हर्ष कहते हैं कि जब से समझ हुई है तब से वह इस खेल में अपने परिवार के बड़े लोगों के साथ आ रहे हैं. अब उनके बच्चे भी इस खेल में उनके साथ आते हैं. उन्होंने कहा कि दो उपजातियों की खूनी संघर्ष को मिटाने की याद में मनाए जाने वाली परंपरा को निभाने में आज भी बड़ा मजा आता है.

दुश्मनी भुलाने के लिए खेली जाती है ये होली

युवा राम कुमार हर्ष कहते हैं कि भले ही इस आयोजन की शुरुआत किसी भी तरह से हुई हो लेकिन होली के मौके पर इस आयोजन में भागीदारी करने का इंतजार पूरे वर्ष रहता है. उमंग के इस त्यौहार में इस तरह से आयोजन में भागीदारी करते हुए मन प्रफुल्लित हो जाता है.

बीकानेर में खेली जाती है डोलची होली

आयोजन में हर दोनों उपजातियों के हर उम्र के लोग इसमें शामिल होते हैं. चाहे बुजुर्ग हो या बच्चे या युवा. हर कोई आयोजन में अपनी भागीदारी निभाता है. एक दूसरे की पीठ पर पानी का वार करता है.

चमड़े की डोलची से पीठ पर मारा जाता है पानी

जोशी भादाणी ने भी शुरू की परम्परा

हर्ष और व्यास जाति के बीच खेले जाने वाले करीब 350 साल पुराने इस खेल के बाद अब बीकानेर में पुष्करणा समाज की दो और उप जातियों जोशी और धानी जाति के लोगों ने भी इस तरह के खेल की परंपरा को शुरू किया है. हर्ष और व्यास जाति के बीच होने वाले खेल के अगले दिन इन दोनों उपजातियों के बीच भी यह खेल खेला जाता है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details