बीकानेर.2 साल की बच्ची 'आयशा' जन्मजात से कुल्हे की बीमारी से ग्रसित थी. उसके माता-पिता ने न तो कोई दरगाह छोड़ी न ही कोई पीर-फकीर. हर जगह दुआ मांगी कि उनकी लाडो ठीक हो जाए. वहीं हर जगह से निराशा हाथ लगने के बाद किसी ने उन्हें बच्ची को डॉक्टरों को दिखाने की सलाह दी.
ऐसे में डॉक्टरों को दिखाने के बाद हर तरफ से हताश परिजनों को उसके ठीक होने की आस बंधी. जन्म से ही आयशा का बायां कूल्हा अपनी जगह से खिसका हुआ था. अगर समय रहते ऑपरेशन नहीं होता तो उसे चलने फिरने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ता. डॉक्टरों की माने तो यह बीमारी 1 हजार बच्चों में किसी एक को ही होती है. पीबीएम के ट्रॉमा सेंटर में लगभग 3 घंटे चले ऑपरेशन के दौरान छोटी बच्ची होने के कारण डॉक्टरों को ज्यादा एहतियात बरतनी पड़ी.