बीकानेर. जिले में 2 नंबर डिस्पेंसरी पर मामला उस समय गर्मा गया, जब वहां पर मरीज और उनके परिजनों को पता चला कि जिस डॉक्टर से वो इलाज करवा रहे है, वो डॉक्टर खुद ही पॉजिटिव आ चुका है. ऐसे में मरीज और परिजनों में हड़कंप मच गया. वहीं स्थानीय लोगों के साथ मरीज के परिजनों ने जमकर डिस्पेंसरी में हंगामा किया और लोगों के जान से खेलने वाले डॉक्टर के खिलाफ जमकर नारेबाजी.
कोरोना पॉजिटिव डॉक्टर करता रहा मरीजों का इलाज दरअसल डॉक्टर ने कोरोना की जांच करवाई थी. लेकिन जांच करवाने के बाद उन्होंने ये बात किसी को नहीं बताई और घर पर रहने की बजाए वो डिस्पेंसरी में मरीजों को देखते रहे. इसके साथ ही उन्होंने चिकित्सा विभाग की ओर से आयोजित मीटिंग में भी हिस्सा लिया. इस मीटिंग में कई डॉक्टर और अधिकारी मौजूद थे. लेकिन रिपोर्ट आने के बाद उसमें डॉक्टर साहब पॉजिटिव आ गए. जिसके बाद अस्पताल में मरीज के परिजनों ने जमकर हंगामा किया और इससे घोर लापरवाही बताई.
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मरीज के परिजनों ने बताया कि जांच करवाने के बाद डॉक्टर साहब को रिपोर्ट नहीं आने तक घर रहना चाहिए था, लेकिन उन्होंने लोगों की जान से खेलने का काम किया. मामला बढ़ने के बाद सीएमएचओ डॉ. बीएल मीणा मौके पर पहुंचे. मरीज के परिजनों ने सीएमएचओ साहब को मामले से अवगत कराया. वहीं सीएमएचओ बीएल मीणा ने बताया कि उन्हें भी डॉक्टर के पॉजिटिव आने का पता नहीं था. ना ही किसी ने उन्हें बताया.
उन्होने कहा कि मामला गंभीर है, आखिर गाइडलाइन की पालना कोरोना पॉजिटिव डॉक्टर ने क्यों नहीं की. इसके साथ ही उन्होंने चिकित्सा विभाग की मीटिंग में हिस्सा लिया. वहीं डॉक्टर को तुरंत कोविड सेंटर भिजवा दिया गया है और उन्हें मामले को लेकर कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है.
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फिलहाल सीएमएचओ के आश्वासन के बाद मरीज और उनके परिजन मान गए. लेकिन सोचने वाली बात है कि जब जिला प्रशासन ने कोरोना को लेकर गाइडलाइन तैयार कर रखी है और स्थानीय लोगों से बार-बार अपील भी की जा रही है, तो इस दौरान डॉक्टर साहब ने अपनी जिम्मेदारी क्यों नहीं समझी. इस दौरान कितने लोगों का इलाज डॉक्टर ने किया, तो वहीं कितने अधिकारी और कर्मचारियों से उन्होंने मुलाकात की. ऐसे में बीकानेर में बढ़ते आंकड़ों के बीच यह मामला काफी संवेदनशील माना जा सकता है.