बीकानेर.हाईकोर्ट बेंच की मांग को लेकर बीकानेर में लंबे समय से आवाज उठ रही है. 13 साल पहले बीकानेर के अधिवक्ताओं ने एक आंदोलन शुरू किया था. लगातार 120 दिन तक लंबा आंदोलन चला और इस दौरान पूरी तरह कार्य का बहिष्कार किया गया. वहीं क्रमिक अनशन भी लगातार जारी रहा. हालांकि इसपर कोई फैसला नहीं हुआ. लेकिन बीकानेर के अधिवक्ताओं ने इस आंदोलन को खत्म नहीं किया. हर महीने की 17 तारीख को बीकानेर के अधिवक्ता कार्य बहिष्कार करते हुए राज्यपाल के नाम बीकानेर में हाईकोर्ट बेंच की मांग को लेकर ज्ञापन देते हैं.
इसलिए बीकानेर कर रहा दावा: बीकानेर बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सुरेंद्रपाल शर्मा ने बताया कि (Demand of Highcourt Bench in Bikaner) बीकानेर रियासत की ओर से भी बीकानेर हाईकोर्ट स्थापित थी. आजादी के बाद हाईकोर्ट का केंद्रीकरण हुआ और जोधपुर में मुख्य पीठ स्थापित हुई. वो कहते हैं कि बीकानेर संभाग सीमावर्ती जिलों के साथ ही रेगिस्तानी इलाका है और भौगोलिक दृष्टि से थोड़ा भिन्न है. बीकानेर संभाग का आखिरी गांव हिंदूमलकोट से जोधपुर की दूरी 550 किलोमीटर है. ऐसे में किसी को सस्ते न्याय की उम्मीद कैसे हो सकती है.
निचले स्तर पर विकेंद्रीकरण से और देरी :बार एसोसिएशन बीकानेर के अध्यक्ष सुरेंद्र पाल शर्मा (Bikaner Advocates boycott work) कहते हैं कि निचले स्तर पर न्याय व्यवस्था का विकेंद्रीकरण किया गया है. जो अच्छी बात है. न्याय व्यवस्था में कुछ रिफॉर्म हुए. लेकिन उन मामलों में निचले स्तर पर हुए निर्णय के विरुद्ध जिला स्तर पर डीजे और एडीजे स्तर पर सुनवाई का अधिकार नहीं है. उन्होंने कहा कि फैमिली कोर्ट और सिविल मामलों में अब अपील की सुनवाई इन न्यायालय में नहीं हो पाती है. वह मामला सीधे हाईकोर्ट रेफर होता है. हाईकोर्ट में मामलों की संख्या और पेंडिंग केस दोनों ही बढ़ रहे हैं. जिससे न्याय मिलने में देरी हो रही है. ऐसे में हमारा यह मानना है सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में भी विकेंद्रीकरण होना चाहिए.