राजस्थान

rajasthan

शहरी स्वास्थ्य केंद्र की उपयोगिता हुई साबित...कोरोना काल में बने चिकित्सा विभाग की रीढ़

By

Published : Nov 30, 2020, 11:03 PM IST

कोरोना काल में चिकित्सा सुविधाओं को बेहतर बनाने और उनके विस्तार को लेकर सरकार पूरी तरह से गंभीर है. शहरी क्षेत्र में स्थापित प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कोरोना काल में चिकित्सा विभाग के लिए रीढ़ की हड्डी साबित हुए हैं.

शहरी स्वास्थ्य केंद्र में कोरोना का इलाज बेहतर,  Corona treatment better in urban health center
शहरी स्वास्थ्य केंद्र में कोरोना का इलाज बेहतर

बीकानेर. आमजन के लिए सरकारी स्तर पर बेहतर चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी है, लेकिन कोरोना काल में चिकित्सा व्यवस्था को और अधिक बेहतर करने की जरूरत महसूस हुई. इस दौरान बड़े अस्पतालों, संस्थानों में सरकारी व्यवस्थाओं की कई खामियां भी सामने आई. लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में सामुदायिक प्राथमिक सेवा केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में बेहतर सुविधाएं हैं.

प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में हर तबके के लिए तत्काल इलाज की व्यवस्था भी बढ़ाने का काम होता है. इसी तुलना में शहरी क्षेत्र में जरूरतमंद तबके के लिए प्राथमिक सेवा केंद्र बनाए हुए हैं और इस कोरोना काल में इन प्राथमिक सेवा केंद्रों का उपयोग नजर भी आया है. कोरोना का संक्रमण शहरी क्षेत्र में ज्यादा नजर आया और ऐसे में इन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के अंतर्गत आने वाले मरीजों की जांच से लेकर घर पर देखभाल और दवाइयों की वितरण के साथ ही उनकी मॉनिटरिंग का काम भी इन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के अधीन रहा.

बीकानेर शहर में कुल 16 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है. वहीं एक श्रीडूंगरगढ़ और एक नोखा में है. बीकानेर जिले में कुल 18 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में 16 में चिकित्सक प्रभारी नियुक्त हैं, वहीं दो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में कार्य व्यवस्था कर प्रभारियों की नियुक्ति की हुई है. यहां पर सरकारी स्तर पर निशुल्क दवाई कि केंद्र के साथ ही प्राथमिक जांचों की सुविधा भी उपलब्ध है. ऐसे में इन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों का लोगों को सीधा फायदा मिलता भी नजर आ रहा है.

इन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर औसतन हर रोज करीब 6000 से ज्यादा रोगी आते हैं, कोरोना से पहले जहां हर रोज एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर औसतन 500 व्यक्ति प्रतिदिन आते थे, तो वहीं कोरोना के बाद घटकर यह आंकड़ा 200 से 300 के पास पहुंच गया है. जिसका एक कारण अस्पताल में जाने से होने वाले संक्रमण का डर है. इन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर मौसमी बीमारियों के अलावा बच्चों के बीमारियों के साथ ही स्त्री और प्रसूति रोग विशेषज्ञ की सेवाएं उपलब्ध रहती है.

फिलहाल वे ही मरीज अभी यहां पहुंच रहे हैं. बीकानेर की अणचाबाई प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सक डॉ. अबरार पंवार कहते हैं कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चिकित्सा विभाग के लिए रीढ़ की हड्डी की तरह काम कर रहे हैं और यहां पर सरकारी स्तर पर हर तरह की सुविधाएं उपलब्ध है. साथ ही दवाइयों की उपलब्धता जिला औषधि भंडार के मार्फत होती है. ऐसे में दवाइयों की किसी तरह से कोई कमी नहीं है. स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ राजश्री चालिया कहती है कि अन्य बीमारियों के इलाज के साथ ही यहां पर मातृ एवं शिशु रोग संबंधी उपचार के साथ ही जागरूकता को लेकर शिविर आयोजित होते हैं.

पढे़ं-राजस्थान में कोरोना के 2677 नए मामले, जयपुर में टूटा रिकॉर्ड...1 दिन में सर्वाधिक मामले दर्ज

हर महीने की एक निश्चित तारीख को इस तरह का आयोजन भी किया जाता है. जिससे लोगों में जागरूकता भी होती है. प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के प्रभारी डॉ. मुकेश जनागल कहते हैं कि कोरोना काल में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के क्षेत्र में कोरोना मरीजों का होम आइसोलेशन में बेहतर ध्यान रखा गया. कुल मिलाकर जिले के बड़े अस्पताल तक पहुंचने से पहले साथ ही निजी अस्पतालों में इलाज कराने में सक्षम नहीं माने जाने वाले लोग भी इन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर बेहतर इलाज की उम्मीद में आते हैं और उन्हें निराश नहीं होना पड़ता है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details