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आपणी सरकार: बीकानेर निकाय चुनाव को लेकर कांग्रेस-भाजपा में एक के मुकाबले दस आवेदन

शहर की सरकार के लिए अब सरगर्मियां पूरी तरह से तेज हो गई है. बीकानेर निकाय चुनाव को लेकर दोनों ही दलों में एक के मुकाबले दस आवेदन आ रहे है. जिसके बाद दोनों ही पार्टियों के लिए किसी एक उम्मीदवार का चयन करना टेढ़ी खीर बन गया है.

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Published : Oct 30, 2019, 3:31 PM IST

बीकानेर.निकाय चुनाव को लेकर हलचल तेज हो गई है. दीपावली के ठीक पहले हुए चुनाव की घोषणा का असर दीपावली पर भी देखा गया और त्योहारी मौके पर भी संभावित दावेदार बड़े नेताओं से रामा श्यामा के बहाने खुद की दावेदारी को लेकर अर्जी लगाते हुए नजर आए, तो वहीं संभावित दावेदारों से आवेदन लेने को लेकर कांग्रेस और बीजेपी ने 3 दिन तक अभियान चलाया जो मंगलवार को पूरा हुआ. जहां दोनों ही दलों में शहर के 80 वार्डों को लेकर बड़ी संख्या में आवेदन आए हैं. ऐसे में दोनों ही पार्टियों के लिए किसी एक उम्मीदवार का चयन करना टेढ़ी खीर बन गया है.

कांग्रेस-भाजपा में एक के मुकाबले दस आवेदन

बीकानेर नगर निगम में भाजपा का बोर्ड
दरअसल, बीकानेर नगर निगम में फिलहाल भाजपा का बोर्ड है और महापौर के रूप में भाजपा के नारायण चोपड़ा काम कर रहे हैं. ऐसे में एक बार फिर भाजपा फिर से नगर निगम में अपना बोर्ड काबिज करना चाहती है तो वहीं प्रदेश में सत्ता में आई कांग्रेस बीकानेर नगर निगम में अपना बोर्ड बनाना चाहती है.

केंद्रीय मंत्री अर्जुन लाल मेघवाल और कैबिनेट मंत्री बीडी कल्ला

भाजपा और कांग्रेस में इनके कंधों पर जिम्मेदारी
भाजपा में जहां टिकटों के वितरण और पूरे चुनाव की कमान केंद्रीय राज्यमंत्री और बीकानेर से सांसद अर्जुन मेघवाल के पास रहेगी, तो वहीं कांग्रेस में इसकी जिम्मेदारी ऊर्जा मंत्री और बीकानेर पश्चिम के विधायक बीडी कल्ला के कंधों पर होगी.

दोनों दलों में गुटबाजी की बात से भी इनकार नहीं
दोनों ही दलों में गुटबाजी की बात से भी इनकार नहीं किया जा सकता. संभावित प्रत्याशियों में से किसी एक को टिकट मिलने पर पार्टियों में टिकट वितरण में अंसतोष की स्थिति भी बनती नजर आ रही है. हालांकि शहर भाजपा अध्यक्ष सत्यप्रकाश आचार्य दावेदारों की बड़ी भीड़ को पार्टी के लिए अच्छा संकेत मानते हुए कहते हैं कि जिस उत्साह से दावेदार जुट रहे हैं. उससे साफ है कि आने वाला समय भी बीकानेर नगर निगम में भाजपा के लिए फलदायी होगा. वहीं कांग्रेस में इस बात को लेकर चर्चा है कि प्रदेश में सरकार होने के चलते कड़ी से कड़ी जोड़ने के नाम पर आम मतदाता का झुकाव पार्टी की और होगा. पिछले 5 सालों में जिस तरह से भाजपा के बोर्ड को लेकर एंटी इनकंबेंसी का फायदा कांग्रेस को मिलेगा.

टिकट की घोषणा 2 नवम्बर तक
हालांकि दोनों ही पार्टियों के टिकट की घोषणा 2 नवम्बर तक होने की उम्मीद है. ऐसे में टिकट वितरण से पहले जिस तरह से दोनों पार्टियों में आवेदन आए है. उससे साफ है कि टिकट वितरण के साथ ही दोनों ही पार्टियों में असंतोष का बम जरूर फूटेगा.

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