बीकानेर. जयपुर नगर निगम की मेयर को निलंबित करने के मामले में जहां भाजपा ने इसे राजनीतिक रूप से द्वेषपूर्ण कार्रवाई बताया था तो वहीं अब सुप्रीम कोर्ट के स्टे के बाद एक बार फिर निलंबित महापौर सौम्या गुर्जर ने अपना कार्यभार संभाल लिया है. वहीं बीकानेर नगर निगम (Bikaner Municipal Corporation) में भी भाजपा शासित बोर्ड में सरकार का हस्तक्षेप कुछ ज्यादा ही देखने को मिल रहा है.
दरअसल बीकानेर नगर निगम में 2 साल पहले भाजपा ने अपना बोर्ड बनाया था और भाजपा से सुशीला कंवर राजपुरोहित मेयर चुनी गईं थीं. कई बार खुद मेयर ने भी राजनीतिक रूप से नगर निगम में सरकार के हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया और सरकार के नियमों के खिलाफ कोर्ट का भी सहारा लिया. दरअसल बीकानेर नगर निगम में पिछले 2 सालों में नगर निगम आयुक्त के रूप में आठ अधिकारियों (8 commissioners transfer from bikaner Municipal Corporation) के तबादले हुए हैं. औसतन देखा जाए तो कोई भी अधिकारी 3 महीने से ज्यादा बीकानेर में आयुक्त के पद पर नहीं रहा.
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हाल ही में पिछले दिनों जारी हुई तबादला सूची में आईएएस अभिषेक खन्ना का बीकानेर से अन्यत्र स्थानांतरण कर दिया गया. जबकि अभिषेक खन्ना ने कुल 40 दिन ही आयुक्त के रूप में काम किया. खन्ना के तबादले के साथ ही बीकानेर नगर निगम में आयुक्त के पद पर सरकार ने किसी भी नए आईएएस को नहीं लगाया और अब उपायुक्त पंकज शर्मा के पास पद का चार्ज है. लगातार अधिकारियों के तबादलों के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को नगर निगम की महापौर ने भी पत्र लिखा है और निगम में स्थाई रूप से अधिकारी तैनात करने की मांग की है.
महापौर सुशीला कंवर ने कहा कि मेरे कार्यभार संभालने के बाद अब तक आठ आयुक्त नगर निगम में आ चुके हैं और इससे विकास के कार्य प्रभावित होते हैं. उन्होंने कहा कि किसी भी प्रोजेक्ट पर काम करने के लिए अधिकारी से चर्चा करते हैं और उसे इंप्लीमेंट करने के लिए काम शुरू करते हैं, उससे पहले आयुक्त का तबादला हो जाता है. ऐसे में शहर के विकास के काम प्रभावित हो रहे हैं.