बीकानेर. हर व्यक्ति को अपने जीवन में कुछ अलग करने की तमन्ना होती है. व्यक्ति नाम कमाने के लिए शोहरत के लिए और अपने शौक के लिए उस काम को करता है. ऐसे ही बीकानेर में एक कॉलेज प्रोफेसर को अपने काम के साथ इस तरह का जुनून सवार हुआ कि पिछले चार दशक में उन्होंने वो काम कर दिया कि आने वाली पीढ़ी के लिए वो काम एक मिसाल से कम नहीं है.
किसी व्यक्ति को डाक टिकटों का, सिक्कों का, अलग-अलग देशों की करेंसी का कलेक्शन करने का शौक होता है लेकिन बीकानेर के कॉलेज प्रोफेसर और वर्तमान में उच्च शिक्षा विभाग में कॉलेज शिक्षा के सहायक निदेशक राकेश हर्ष (Dr Rakesth Harsh) को वुड फॉसिल्स (Wood fossils) के कलेक्शन का शौक है.
उनका शौक अब उनकी दिनचर्या में शामिल है. उच्च शिक्षा विभाग के सहायक निदेशक राकेश हर्ष बॉटनी के प्रोफेसर हैं. बीकानेर के एमएस कॉलेज में वनस्पति विज्ञान शिक्षक के रूप में अपने विद्यार्थियों को निरंतर अपडेट रखने के साथ ही नई खोज और शोध में जुटे हुए हैं.
यह भी पढ़ें.Special : बीकानेर शहर खो रहा अपनी ऐतिहासिक पहचान...हजार हवेलियों के शहर में ढाई सौ हवेलियां भी नहीं बची
राकेश हर्ष पूरे उत्तर भारत में अपनी तरह के पहले व्यक्ति हैं, जो वुड फॉसिल्स पर काम कर रहे हैं. साथ ही उनके पास वुड फॉसिल्स का कलेक्शन भी है. उन्होंने एमएस कॉलेज में खुद के स्तर पर लैब बनाई है. जिसमें करोड़ों साल पुराने फॉसिल्स रखे हुए हैं. जिन पर वे शोध कर रहे हैं और अपने विद्यार्थियों को भी इसकी जानकारी दे रहे हैं.
ईटीवी भारत ने प्रोफेसर राकेश हर्ष से खास बातचीत की. जिसमें उन्होंने अपने वुड फॉसिल्स के कलेक्शन और उन पर किए कार्यों के बारे में बताया. प्रोफेसर ने बताया कि उनके कलेक्शन में 20 करोड़ साल पुराने डायनासोर के जीवन काल की समय की वनस्पतियों के अवशेष भी हैं.