बीकानेर.कांग्रेस समर्थित पार्षद के साथ बीकानेर में बिजली कंपनी के विवाद के मामले में पार्षद पर राजकार्य में बाधा करने का का मुकदमा दर्ज होने और जेल होने के बाद बिजली कंपनी को लेकर विरोध के स्वर तेज हो गए हैं. भाजपा ने बिजली कंपनी पर मीटर बदलने के नाम पर शहर में तेज चलने वाले मीटर लगाने का आरोप लगाते हुए सोमवार को जिला कलेक्ट्रेट पर विरोध प्रदर्शन करते हुए मीटर जलाकर अपना विरोध जताया.
भाजपा ने जिला कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन के दौरान जलाए मीटर वहीं, कांग्रेस समर्थित पार्षद की गिरफ्तारी के बाद कांग्रेस नेता गोपाल गहलोत ने भी कंपनी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. गहलोत ने 15 जनवरी से कंपनी के खिलाफ चरणबद्ध आंदोलन की शुरुआत करते हुए पैदल मार्च निकालने की घोषणा की है. इसके साथ ही विरोध के स्वर के बीच सोमवार को बिजली कंपनी के अधिकारी मीडिया के सामने आए और 3 साल में कंपनी की ओर से बीकानेर में बिजली के सुधार को लेकर किए गए कामों को गिनाया.
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बीकानेर इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई लिमिटेड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी शांतनु भट्टाचार्य ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि कंपनी ने 3 साल में बीकानेर में बहुत से काम किए हैं और आज भी कंपनी करीब 85 करोड़ के घाटे में हैं. बावजूद उसके कंपनी ने जोधपुर विद्युत वितरण निगम से हस्तांतरित बीकानेर शहर की बिजली व्यवस्था में काफी सुधार किया है. साथ ही अब बिजली कटौती और ट्रांसफॉर्मर बदलने जैसी व्यवस्थाओं में सुधार करते हुए उपभोक्ताओं को राहत दी है.
इस दौरान भट्टाचार्य ने कहा कि मीटर बदलने के मामले में लोगों को गलत फीडबैक है. कंपनी किसी भी तरह से शहर में स्मार्ट मीटर नहीं लगा रही है, ना ही पूर्व में कोई स्मार्ट मीटर लगाया गया है और ना ही भविष्य में कोई स्मार्ट मीटर लगाया जाएगा. उन्होंने कहा कि विद्युत चोरी और विद्युत छीजत को कम करने के पूरे प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन बावजूद इसके शहर के कई इलाकों में बिजली चोरी को अंकुश लगाने में कंपनी अभी तक सफल नहीं हो पाई है. हालांकि, कांग्रेस और भाजपा के विरोध को लेकर किए गए सवालों को वे टालते नजर आए.
गौरतलब है कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के समय बीकानेर की बिजली व्यवस्था का निजीकरण करते हुए बीकानेर इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई लिमिटेड से 20 साल के लिए जोधपुर विद्युत वितरण निगम और राज्य सरकार ने एमओयू किया था. तब तत्कालीन सरकार के निर्णय का बीडी कल्ला ने विरोध किया था और निजीकरण को गलत बताते हुए एमओयू को रद्द करने की मांग की थी. वहीं अब बदली परिस्थितियों में प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है और बीडी कल्ला आज प्रदेश की सरकार में ऊर्जा मंत्री हैं.
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ऐसे में अब इस पूरे मामले में सियासत गरमा गई है. भाजपा जहां कल्ला के तत्कालीन घोषणा को मुद्दा बना रही है. वहीं खुद कांग्रेस के नेता भी कंपनी के क्रियाकलापों पर आपत्ति जताते हुए इसका विरोध कर रहे हैं. साथ ही तत्कालीन समय में भाजपा सरकार की ओर से किए गए गलत फैसले को लेकर भाजपा पर दोष मढ़ने के साथ ही अपनी ही सरकार के लिए भी सवाल खड़े कर रहे हैं. ऐसे में आने वाले दिनों में बीकानेर में बिजली कंपनी को लेकर सियासत गरमा सकती है.