बीकानेर. कैंसर पर शोध कर रहे बीकानेर के चिकित्सकों ने इसके विकार उत्पन्न होने से पहले ही होने वाले बदलावों का पता लगा लिया है. मेडिकल कॉलेज की एनाटॉमी लैब में पिछले 1 साल से कैंसर संभावित करीब 30 लोगों पर शोध किया गया था. इस सेल्यूलर लेवल पर हुए शोध में चिकित्सकों ने एक यह पता लगा लिया है कि कैंसर टिश्यू डवलेप होने से पहले उसकी शारीरिक सरंचना में किस तरह के बदलाव आते हैं.
एनाटॉमी विभाग के शोधकर्ता डॉ. जसकरण ने बताया कि प्रोजेक्ट के तहत ओरल कैंसर, सुपारी खाने होने वाले फाइब्रोसिस, ल्युकोप्लोकिया में सेल लेवल पर जीन की स्ट्डी करना, शारीरिक लक्षण में बदलाव को देखना आदि पर अध्ययन किया जा रहा है. जिन्हें गुटखा या तंबाकू खाने से मुंह की झिल्ली में अल्सर्स बन जाते हैं. शोध के लिए उनके नमूने जुटाए गए. उनके टिश्यू की हिस्टोपैथोलॉजी कर माइक्रोस्कोप से उसमें हो रहे बदलावों को देखा गया कि ये कार्सिनोमा (CARCINOMA) हैं या नहीं. चिकित्सक ने बताया कि अल्सर्स होने से पहले की स्टेज या ट्यूमर बनने तक कैंसर काफी फैल जाता है. लेकिन हमने शोध के लिए ऐसे लोगों को चुना जो लगातार तंबाकू का सेवन कर रहे थे और उन्हें उन्हें कैंसर का खतरा महसूस हो रहा था.
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पहले उनकी स्क्रीनिंग की गई. फिर उनके मुहं की झिल्ली से टिशू के सैंपल लिए गए. इसके बाद उसे स्लाइड पर लेकर फ्लूरोसेंट इन सिटू हाईब्रिडाइजेशन (fluorescent in situ hybridization) तकनीक के जरिए सिग्नल विजुअलाइज किए गए और यह देखा गया कि ये सेल्स नॉर्मल हैं या अबनॉर्मल. इस दौरान सेल्स में कुछ भी अबनॉर्मल हो रहा होता है तो सिग्नल्स बहुत ज्यादा आते हैं. जिससे ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि टिश्यू प्रभावित हैं या नहीं और ये कैंसर बन सकता है या नहीं. ऐसी स्थिति में ट्यूमर के डेवेलप होने से पहले ही कुछ सेल्स, जो प्रभावित हुई हैं जेनेटिक लेवल पर उसकी पहचान कर ली जाती है. और ऐसे मरीजों का समय पर ट्रीटमेंट शुरू कर किया जा सकता है.