बीकानेर. पुडुचेरी दक्षिण भारत का केंद्र शासित प्रदेश है और यहां भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनाने को लेकर भाजपा पूरी तरह से प्रयासरत है. अपने इस अभियान की पूरी जिम्मेदारी भाजपा ने बीकानेर से सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री अर्जुन मेघवाल को दी है. मेघवाल भाजपा के चुनाव प्रभारी के रूप में पुडुचेरी में पूरी तरह से सक्रिय हैं.
अर्जुन मेघवाल का बढ़ता सियासी कद... गौरतलब है कि 30 सीटों की विधानसभा के लिए पुडुचेरी में 6 अप्रैल को मतदान हुआ, जिसका परिणाम बंगाल और आसाम के साथ 2 मई को आएगा. यदि पुड्डुचेरी का चुनाव परिणाम भाजपा के पक्ष में आया तो बीकानेर के सांसद अर्जुन मेघवाल का राष्ट्रीय राजनीति में साख बढ़ सकती है.
कैबिनेट में प्रमोशन या फिर कुछ और...
दरअसल, राजस्थान की राजनीति में भाजपा कई बार पशोपेश में नजर आती है. सतीश पूनिया के पास प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी है, वसुंधरा राजे के विकल्प के रूप में गजेंद्र सिंह शेखावत का नाम भी आता है, लेकिन प्रदेश की राजनीति से राष्ट्रीय राजनीति में दखल रखने वाले भाजपा के प्रमुख चेहरों में शुमार अर्जुन मेघवाल इनमें से किसी भी जगह पर अपना दावा नहीं करते. या यूं कह सकते हैं कि कंट्रोवर्सी में नहीं पड़ना चाहते. लेकिन इसका एक मायने और यह भी है कि शायद अर्जुन का निशाना 'मछली की आंख' पर है.
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यही कारण है कि राजस्थान की 3 सीटों पर हो रहे उपचुनाव के अलावा बंगाल और असम की चुनाव के इतर अर्जुन मेघवाल को पूरी तरह जिम्मेदारी देकर भाजपा आलाकमान ने उनपर खास भरोसा जताया है, जो शायद राजस्थान में इस वक्त तक किसी नेता को नहीं दिया. अर्जुन मेघवाल के कैंप से जुड़े कुछ लोग उनके प्रमोशन की बात तो अंदर खाने में कहते हैं, लेकिन बताया यह भी जा रहा है कि शायद आने वाले उपराष्ट्रपति के चुनाव में भी अर्जुन मेघवाल का नाम अचानक आ सकता है.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ मेघवाल... दलित चेहरे के रूप में पकड़...
कांग्रेस की वोट बैंक कहे जाने वाले दलित वर्ग को साधने के लिए भाजपा का फोकस नजर आ रहा है और अर्जुन मेघवाल पार्टी के लिए एक दलित चेहरे की जगह को भरते नजर आ रहे हैं. शायद यही कारण है कि पुडुचेरी में कमजोर तबके के साथ ही बुनकर और मछुआरा समुदाय की निर्णायक भूमिका के साथ ही अनुसूचित जाति के वोटरों का लाभ लेने के लिए अर्जुन मेघवाल को पार्टी ने वहां की जिम्मेदारी दी है.
हालांकि, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गृहमंत्री अमित शाह सहित भाजपा की और दूसरी नेताओं ने भी पुडुचेरी में चुनाव सभाएं की है, लेकिन कम चुनावी कमान पूरी तरह से अर्जुन मेघवाल के हाथों में है. वे ग्राउंड लेवल पर जाकर वोटरों के बीच पार्टी की रीति-नीति को पहुंचा कर मतदाताओं को रिझाने का प्रयास करते हुए नजर आ रहे हैं. गैर हिंदी भाषी क्षेत्र में एक हिंदी भाषी नेता को दी गई बड़ी जिम्मेदारी निश्चित रूप से अर्जुन मेघवाल के हक में जाती हुई नजर आ रही है.
पहले भी हुए चौंकाने वाले निर्णय...
दरअसल, 2014 के बाद नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने और अमित शाह के भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के साथ ही भाजपा में कई चौंकाने वाले निर्णय राष्ट्रीय फलक पर देखने को मिले हैं. चाहे झारखंड, हरियाणा, उत्तराखंड में सीएम के चेहरे की बात हो या फिर राष्ट्रपति के तौर पर रामनाथ कोविंद और उप राष्ट्रपति के तौर पर वेंकैया नायडू का नाम आगे लाने की बात या फिर जेपी नड्डा की भाजपा अध्यक्ष के रूप में ताजपोशी का निर्णय. ऐसे में माना जा रहा है कि कहीं ना कहीं शाह और मोदी की 'गुडबुक्स' में शामिल अर्जुन मेघवाल के लिए भी एक पॉलिटिकल लाइन तैयार हो रही है. शायद मोदी और शाह की दी जिम्मेदारी को निभाकर अर्जुन मेघवाल अपनी उपयोगिता और योग्यता को साबित कर रहे हों.
पुडुचेरी में चुनाव के दौैरान केंद्रीय मंत्री... अर्जुन मेघवाल का सियासी सफर...
भाजपा के लिए भारतीय प्रशासनिक सेवा से वीआरएस लेकर राजनीति के मैदान में उतरे बीकानेर सांसद अर्जुन मेघवाल अब सियासत के मंझे हुए खिलाड़ी बन चुके हैं. कभी कांग्रेस का गढ़ कही जाने वाली बीकानेर लोकसभा सीट से पहली बार फिल्म अभिनेता धर्मेन्द्र ने भगवा फहराया, लेकिन इस बात का माइलेज लिया अर्जुन मेघवाल ने. मेघवाल की राजनीति में एंट्री 2009 में लोकसभा चुनाव के दौरान हुई और भाजपा ने उन्हें बीकानेर लोकसभा सीट से अपना प्रत्याशी बनाया. हालांकि, उस वक्त धर्मेंद्र पार्टी के मौजूदा सांसद थे, लेकिन धर्मेंद्र की बजाय पार्टी ने अर्जुन मेघवाल को नए चेहरे के रूप में सामने लाकर प्रयोग किया और यह प्रयोग न सिर्फ सफल रहा, बल्कि अब बीकानेर लोकसभा सीट खुद अर्जुन और भाजपा के लिए अजेय साबित हो चुकी है.
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2014 में प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी के सत्ता में आने के बाद अर्जुन मेघवाल का ग्राफ लगातार बढ़ता गया. पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व और संगठन तक अपनी मौजूदगी का एहसास करवाना अर्जुन मेघवाल को बखूबी आता है और यही कारण है कि दिल्ली में साइकिल से लोकसभा पहुंचने वाले सांसदों में शुमार हो वे चर्चा में आए. लोकसभा की कार्यवाही के दौरान अपनी राजस्थानी पगड़ी के चलते दूर से ही पहचाने जाने वाले अर्जुन मेघवाल की मौजूदगी का एहसास बड़े अच्छे से करवाते हैं.
मेघवाल पुडुचेरी में पूरी तरह से सक्रिय हैं... दरअसल, यह कुछ चीजें हैं जो अर्जुन मेघवाल को डिफरेंट पॉलीटिकल पर्सन के रूप में स्थापित करती हैं. शायद यही कारण है कि दिल्ली के दरबार में अर्जुन मेघवाल अपनी अलग इमेज बनाने में सफल हुए. ब्यूरोक्रेसी का पूरा लाभ अर्जुन मेघवाल को राजनीतिक जीवन में भी मिला, जिसका भी कारण विषय पर उनकी पकड़ होना है. लोकसभा में सचेतक के तौर पर पार्टी के लिए जिम्मेदारी निभाने की बात हो या किसी विषय पर पार्टी के लिए उपलब्ध होने की बात, मेघवाल अपनी उपयोगिता साबित करने में पीछे नहीं हटे. यही कारण रहा कि 2016 में मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में पहली बार संसदीय कार्य राज्यमंत्री के तौर पर उन्हें जिम्मेदारी मिली. लगातार तीसरी बार अर्जुन मेघवाल बीकानेर से बड़े अंतर से चुनाव जीतने में सफल हुए और मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में भी वे राज्य मंत्री के तौर पर भारी उद्योग मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं.