बीकानेर.इतिहास में 15 अगस्त का दिन भारत की आजादी के दिन के रूप में दर्ज है. अंग्रेजों की लंबी गुलामी के बाद 1947 में आज ही के दिन देश ने आजाद हवा में सांस ली और एक नई सुबह का सूरज देखा. हालांकि इस खुशी के साथ देश के बंटवारे का कभी न भरने वाला जख्म भी था. देश ने स्वतंत्र होने की खुशी मनाई, लेकिन विभाजन के बाद हुए दंगों और सांप्रदायिक हिंसा ने कई लोगों के लिए इस खुशी को बेमतलब कर दिया.
बीकानेर का हिस्सा रहा है पाक का बहावलपुर भारत देश आज अपनी आजादी की 74वीं वर्षगांठ मना रहा है. आजादी के इस महायज्ञ में कई स्वतंत्रता सेनानियों ने अपने जान की आहूति दी है. बड़ी मुश्किलों से देश को वीर बेटों के अपने पराक्रम और शौर्य की बदौलत देश को यह आजादी दिलाई है.
रियासतों में बंटा था भारत
बंटवारे से पहले हिंदुस्तान में 579 रियासतें थीं. जब अंग्रेजों के भारत छोड़ने का समय आया, तो उन्होंने देश को तीन हिस्सों में बांट दिया. भारत का पश्चिमी हिस्सा मगरिबी पाकिस्तान बना तो पूर्वी हिस्सा मशरिकी पाकिस्तान कहलाया. यहीं पूर्वी हिस्सा अब बांग्लादेश के नाम से जाना जाता है. इस बंटवारे के बाद 550 से ज्यादा छोटी-बड़ी रियासतों को भारत कहा गया. इसमें कई स्वतंत्र राज्य और रियासतें शामिल थीं. कुछ रियासतें तो चंद गांवों तक सिमटी हुई थीं. इन सभी को खत्म करने राज्यों का गठन करते हुए भारत संघ की कहानी लिखी गई थी.
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आजादी से पहले अविभाजित भारत में ब्रिटिश हुकूमत के साथ ही राजतंत्र था. राजा, महाराजा, दुर्ग और किले देश को चार-चांद लगाते थे. खासकर भारत के राजस्थान राज्य में तो राज-महाराजाओं की शान ही निराली थी. पहले रियासतों के आधार पर भारत भौगोलिक रूप से बंटा हुआ था. लेकिन बदलते समय के साथ सब कुछ बदल गया.
बीकानेर रेगिस्तानी जिलों में एक है, जो उत्तर-पूर्व राजस्थान में स्थित है. रियासतों के जमाने में बीकानेर रियासत की सीमा आज के पाकिस्तान में भी लगती थी. उस वक्त बीकानेर रियासत आज के पाकिस्तान सीमा के बहावलपुर तक जुड़ी हुई थी. लेकिन पाकिस्तान देश बनने के बाद बीकानेर का यह हिस्सा पाक में चला गया.
दूर-दूर तक फैली हुई थी बीकानेर रियासत
अविभाजित भारत में बीकानेर रियासत का क्षेत्र अब के नए जिलों श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, बीकानेर और चूरू जिले को मिलाकर बना था. इसके अलावा बहावलपुर के साथ ही अभी हरियाणा के ऐलनाबाद तक बीकानेर रियासत की सीमा लगती थी. राजस्थान राज्य अभिलेखागार के निदेशक डॉ. महेंद्र खड़गावत बताते हैं कि बीकानेर रियासत का क्षेत्रफल इतना बड़ा था कि 24 घंटे भी अगर ट्रेन चले, तो भी रियासत का कोना खत्म नहीं होता था.
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बहावलपुर रियासत ने लगाया था अडंगा
खड़गावत बताते हैं कि उस वक्त बीकानेर रियासत में अकाल की स्थिति को देखते हुए महाराजा गंगासिंह ने गंगनहर का निर्माण करना चाहते थे. लेकिन बहावलपुर राजपरिवार चाहता था कि उनके क्षेत्र में नहर का निर्माण किया जाए. लेकिन ऐसा नहीं होने पर बहावलपुर रियासत ने गंगनहर के निर्माण का विरोध भी किया था. तब बीकानेर में ब्रिटिश गवर्नर ने जिले का दौरा किया था और उस वक्त महाराजा गंगासिंह ने तथ्य रखते हुए अपनी बात को सही साबित किया था. जिसके बाद गवर्नर की अनुमति से गंगनहर बनाई गई थी.
दरअसल भारत-पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय सीमा पर बीकानेर संभाग की 364 किलोमीटर की सीमा लगती है और नई पाकिस्तान का उदय हुआ तो बीकानेर रियासत का तब पाकिस्तान से लगता हुआ क्षेत्र भी पाकिस्तान में शामिल हो गया. बीकानेर रियासत के उस वक्त के मानचित्र से यह बात पूरी तरह से स्पष्ट भी होती है.