बीकानेर. देशभर में ऑक्सीजन और रेमेडिसिवर की कालाबाजारी के सामने आए मामलों की तरह बीकानेर में भी बड़ी मात्रा में रेमेडिसिवर कई कालाबाजारी सामने आई है. दरअसल, स्टॉकिस्टों के पास रेमेडीसिविर के बेचने के बिलों की जांच में यो बात सामने आई है. बीकानेर में भी कुछ हॉस्पिटल संचालकों ने खुद के यहां रेमेडिसिवर इंजेक्शन नहीं मिलने और कम मात्रा में मिलने की बात कही है, वहीं उनके नाम से भी बिल काटे गए हैं.
बीकानेर में 510 रेमेडिसिवर इंजेक्शन की कालाबाजारी का मामला, सेना को भेजे गए इंजेक्शन भी खुर्दबुर्द - बीकानेर में इंजेक्शन खुर्दबुर्द
बीकानेर में रेमेडिसिवर की कालाबाजारी के मामले में 4 लोगों की गिरफ्तारी और 4 इंजेक्शन जब्त होने के बीच रेमेडिसिवर की कालाबाज़ारी की मिली शिकायतों के बीच स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप एसओजी ने भी अलग से जांच शुरू कर दी है. प्रथम दृष्टया मामले में काफी अनियमितता सामने आई है और बड़े स्तर पर कालाबाजारी की सम्भावना जताई जा रही है.
बीकानेर में 1400 इंजेक्शन की खेप में 510 इंजेक्शन की अनियमितता सामने आई है. इतना ही नहीं, बीकानेर के कोटे के इंजेक्शन बीकानेर में जरूरतमंद कोरोना मरीजों को देने की बजाय प्रदेश के अन्य शहरों और देश के दूसरे शहरों में बेचे गए. साथ ही बीकानेर में भी अनाधिकृत रूप से निजी अस्पताल के डॉक्टरों और निजी अस्पतालों को भी बेचा गया. बताया जा रहा है कि बीकानेर से श्रीगंगानगर, चूरू, झुंझुनूं, जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, भिवानी और कोलकाता तक इन इंजेक्शन को बेच गया. ना सिर्फ स्टॉकिस्ट, बल्कि प्राइवेट हॉस्पिटल संचालक और डॉक्टर्स भी इस कालाबाजारी में शामिल होने का सन्देह जताया जा रहा है और एसओजी की जांच में ये सब लोग शामिल है.
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गौरतलब है कि 4 दिन पहले बीकानेर की सदर थाना पुलिस और एसओजी की सयुंक्त कार्रवाई में 4 लोगों को गिरफ्तार किया गया था और उनसे 4 रेमेडिसिवर इंजेक्शन बरामद हुए थे. 24 हजार रुपये में इंजेक्शन बेचने की बात सामने आई थी. गिरफ्तार लोगों में निजी अस्पताल में कार्यरत नर्सिंग और मेडिकल शॉप के कर्मचारी और लैब कर्मचारी शामिल थे.
सेना के इंजेक्शन भी खुर्दबुर्द !
कालाबाजारी की हद का एक नमूना यह भी है कि सेना को भेजे गए इंजेक्शन भी कालाबाज़ारी की भेंट चढ़ने की बात सामने आ रही है. बताया जा रहा कि सेना के लिए भेजे गए इंजेक्शन में 80 रेमडेसिवीर इंजेक्शन 19 अप्रैल को सेना के लिए स्टॉकिस्ट को भेजे गए, लेकिन वो आज तक सेना अस्पताल को नहीं दिए गए.
एसओजी की जांच के दायरे में हैं ये स्टॉकिस्ट
रेमेडिसिवर इंजेक्शन की कालाबाजारी को लेकर जांच कर रही है एसओजी की जांच के दायरे में जहां कुछ निजी अस्पताल और निजी चिकित्सक हैं, वहीं अधिकृत स्टॉकिस्ट मित्तल ड्रग एजेंसी, मित्तल फार्मा, जिंदल मेडिकोज, राजेन्द्र मेडिकोज, तंवर मेडिकोज, मित्तल फार्मा और गौरव एजेंसी के संचालकों से भी पूछताछ होगी.