भीलवाड़ा. साल 2019 एशिया के मैनचेस्टर और वस्त्र नगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा के काफी संकट भरा रहा. बता दें कि वस्त्र नगरी के नाम से विख्यात भीलवाड़ा में वीविंग, प्रोसेसिंग, स्पिनिंग की काफी यूनिट स्थापित हैं. यहां वीविंग उद्योग के 350 से 400 कपड़े के प्लांट हैं.
बता दें कि भीलवाड़ा में टैक्सटाइल के नाम पर विभिन्न क्षेत्र में अलग-अलग उद्योगों की स्थापना सन् 1938 में हुई थी. वहीं भीलवाड़ा में प्रतिवर्ष 9 करोड़ मीटर कपड़ा बनता है. यहां उद्योगपति अपनी क्षमता को देखकर काम करता रहा है. बाजार के अंदर जो काम हो रहे हैं, वे उद्योगपति की समझदारी से हो रहे हैं और नए-नए प्रोजेक्ट के तहत काम किया जा रहा है.
ईटीवी भारत से बात करते हुए भीलवाड़ा टैक्सटाइल ट्रेड फेडरेशन के महासचिव प्रेम स्वरूप गर्ग ने बताया कि उद्योगों के लिए वर्ष 2019 संकट यानी घाटे का समय रहा. साल 2019 लगने के साथ ही राजस्थान में सरकार बदलने से असमंजस की स्थिति रही. विद्युत दरें बढ़ने से उद्योग की लागत बढ़ गई. जो लाभ स्टेट सरकार की ओर से उद्योगपतियों को दिए जाने हैं, उन पर रोक लग गई. जिसके चलते वित्तीय समस्या खड़ी हो गई. साथ ही ऋण के भुगतान में भी समस्या आ रही है.