भीलवाड़ा.जिले में कुश्ती की नई नर्सरी तैयार हो रही है. जिले के बाल पहलवान दांव पेंच के साथ जोर आजमाइश कर रहे हैं. अब तक राजस्थान में कुश्ती खेल जगत में पुरुषों का दबदबा रहता है, लेकिन बीते 2 साल से महिला कुश्ती भी प्रसिद्ध होती जा रही है.
महिला पहलवान सीख रहीं कुश्ती में दांव-पेंच भीलवाड़ा में महिला पहलवानों की नर्सरी के रूप में श्री कृष्ण व्यायाम शाला तैयार हो रही है. यहां शहर और आसपास के गांव के करीब 30 से अधिक महिला पहलवान कुश्ती के दांव-पेंच सीख रही हैं. हर रोज करीब 6 घंटा अखाड़े में पसीना बहाने वाली महिला पहलवानों के लिए राजस्थान में कुछ खास नहीं हो रहा है. आलम यह है कि डेढ़ दशक पहले देश के दूसरे प्रदेशों में महिला कुश्ती को सरकारी स्कूलों के टूर्नामेंट में शुमार कर दिया गया, लेकिन अब तक राजस्थान में स्कूली कुश्ती और महिला कुश्ती को जगह नहीं मिली है.
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महिला पहलवान अंजू का कहना है कि हम रोजाना सुबह-शाम 6 घंटे अभ्यास करने के लिए अखाड़े आते हैं. उनका कहना है कि हमारी कुश्ती की शुरुआत सरकारी विद्यालय से हुई, लेकिन सरकारी स्कूलों में महिला कुश्ती को मान्यता नहीं दी हुई है. इसके कारण हम किसी प्रतियोगिता में भाग नहीं ले पाए. उन्होंने राजस्थान सरकार से मांग की है कि सरकारी स्कूलों में महिला कुश्ती को मान्यता प्राप्त करवाई जाए.
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एशियन और वर्ल्ड चैंपियनशिप में शिरकत कर चुके कोच राजेश दलाल ने कहा कि भीलवाड़ा में हुनर की कमी नहीं है. उन्होंने कहा कि जिले में सरकार का सहयोग नहीं होने के कारण कुश्ती खेल जगत में बालिका पहलवान मात खा रही है. उन्होंने कहा कि अगर सरकार इनका सहयोग करें तो यह पहलवान भी देश में ही नहीं पूरे विश्व में महिला खेल कुश्ती का नाम रोशन कर सकती है.