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ये क्या...भीलवाड़ा के अधिकारियों ने तो मनरेगा का नाम ही बदल दिया...जनप्रतिनिधि भी पुकार रहे 'नरेगा-नरेगा'

भले ही सरकार ने नरेगा के नाम के आगे महात्मा गांधी का नाम लगाकर उनका नाम महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम नाम कर दिया हो. लेकिन भीलवाड़ा जिले के जनप्रतिनिधि, अधिकारी, कर्मचारी सहित ग्रामीण क्षेत्र के प्रत्येक लोग अपनी जुबां से नरेगा-नरेगा नाम ले रहे हैं.

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Published : Aug 31, 2019, 3:52 PM IST

Updated : Aug 31, 2019, 7:53 PM IST

भीलवाड़ा.सरकार ने भले ही राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम यानी नरेगा के नाम के आगे महात्मा गांधी का नाम जोड़कर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम नाम परिवर्तन कर दिया हो, लेकिन भीलवाड़ा जिले के अधिकारी, जनप्रतिनिधि और कर्मचारी की जुबा से अभी भी नरेगा- नरेगा नाम निकल रहा है. इस नाम को लेकर ईटीवी भारत ने जब भीलवाड़ा जिले में पड़ताल की तो इनकी बान की भीलवाड़ा कलेक्ट्रेट सभागार में शुक्रवार को आयोजित हुई जिला परिषद की बोर्ड बैठक में भी इसकी झलक देखने को मिली. जहां जिला परिषद की बोर्ड बैठक में उप जिला प्रमुख रामचंद्र सैन ने मनरेगा की जगह, नरेगा शब्द बोलते हुऐ एक्शन महेश ओझा से जनता के पैसे का भुगतान करने की बात रखी.

यहां मनरेगा को नरेगा नाम से पुकारतें हैं जनप्रतिनिधि

इस दौरान जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गोपाल लाल बिरडा ने उप जिला प्रमुख रामचंद्र सैन के प्रश्न का जवाब देने के लिए मनरेगा की जगह नरेगा नाम से जिक्र करते हुए कहा कि नरेगा में मार्च तक का सम्पूर्ण जिले मे पेमेंट हो गया है. कुछ पंचायत की एफ.बी रिजेक्ट होने के कारण उनका पेमेंट नहीं हो पाया है. उनका भी जल्द हो जाएगा और नरेगा का जिक्र करते हुऐ जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने उप जिला प्रमुख को कहा कि सर इस वर्ष नरेगा में औसत मजदूरी बढ़ी है. इस वर्ष 20 रूपये मजदूरी बढ़ाई गई है. पहले 126 रूपये मजदूरी थी जो इस बार बढ़कर 149 रूपये हो गई. यानी उप जिला प्रमुख रामचंद्र सेन और जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गोपाल लाल बिरडा मनरेगा को बार-बार नरेगा बोलते पाए गए. वहीं पूर्व मंत्री और मांडल विधायक रामलाल जाट ने आसींद के विकास अधिकारी से क्षेय मे मनरेगा योजना की जानकारी ली जहां विधायक रामलाल जाट भी मनरेगा की जगह नरेगा बोलपते हुए दिखे.

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इस संबंध में भीलवाड़ा जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी गोपाल लाल बिरडा ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि पहले राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम था. उनके आगे महात्मा गांधी जी का नाम जोड़ दिया था. इसलिए अब इनका नाम महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम हो गया है. अब तक बार-बार नरेगा बोलने के सवाल पर मुख्य कार्यकारी अधिकारी गोपाल लाल बिरडा ने कहा कि पहले प्रत्येक आदमी एक बार मनरेगा बोलता है लेकिन जुबा पर नरेगा नाम होने के कारण बाद मे नरेगा बोलने लगता है. अब देखना यह होगा कि जहां देश की प्रमुख पार्टियां महात्मा गांधी को आदर्श मानती है वही नरेगा के पहले महात्मा गांधी का नाम जोड़ने के बाद भी उनका नाम लेना कैसे भूल जाती हैं.

Last Updated : Aug 31, 2019, 7:53 PM IST

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