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Bhilwara: HZL के दिए जख्म भरे नहीं हैं, ब्लास्टिंग ने इलाके की जमीनों को पहुंचाया बड़ा नुकसान...किसान ने बताई अंडर ग्राउंड खनन की बात

पर्यावरण नियमें के उल्लंघन (HZL Environmental Norms Violation) का खामियाजा HZL को क्षतिपूर्ति के तौर पर भरना पड़ेगा. लेकिन ये भी सच है कि धरती के सीने पर ब्लास्टिंग से उभरा घाव अभी भरा नहीं है. ग्राउंड जीरो पर Etv Bharat पहुंचा तो कई जगह जमीनों को धंसा पाया. किसानों से बात की तो उन्होंने भी अपने भीतर घर कर गए डर को साझा किया. ये भी बताया कि अब अंडर ग्राउंड खनन की चोट उन पर पड़ रही है. एक रिपोर्ट.

HZL Environmental Norms Violation
किसानों का दर्द- न सरकार न प्रशासन ने ली सुध

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Published : Feb 24, 2022, 9:18 AM IST

भीलवाड़ा. अपनी आंखों के सामने जमीन को बेरंग होते, बेजान होते देखना कितना तकलीफदेह होता है ये जहख क्षेत्र के किसानों से मिलकर पता चलता है. HZL की ब्लास्टिंग ने किसानों के सपनों को ही तार तार कर दिया है. ईटीवी भारत से मिले तो जमींदोज हुए खलियानों को दिखाया, मजबूरी गिनाई फिर राजनेताओं, प्रशासनिक अधिकारियों की शिकायत भी की.

हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड के खनन का असर आस पास के गांवों पर भी पड़ा है. हालात ये हैं कि बरसात में जमीन में नमी बढ़ जाती है और फिर धंस जाती है. इसका कारण अंडर ग्राउंड माइंस वर्क और ब्लास्टिंग बताया जा रहा है. किसान बेबस हैं. कहते हैं कि हालात गंभीर हैं. अपने ही खलियान में काम करने से अब हम डरते हैं. लगता है पता नहीं कहां से कब जमीन धंस जाए.

ग्राउंड जीरो पर ईटीवी

शिकायत ये भी है कि हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड के पास स्थित आगुचा, भेरू खेड़ा गांव में इस बार बारिश के मौसम में जमीन पेंदे में बैठ गई. कई जगह 50 फीट तो कहीं जगह 70 फीट गहरे ओर चौड़े गड्ढे हो रहे थे. यहां तक कि किसानों की शिकायत के बाद भी किसानों का हाल जानने न राजनेता पहुंचे न ही प्रशासनिक अधिकारी ने ही सुध ली.

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पृथ्वीराज नागला ने भारतीय जिंक लिमिटेड का आरोप है कि बार बार कहने के बावजूद उनका किसी ने हाल चाल नहीं जाना. इतने बड़े नुकसान पर अब तक न मुआवजा दिया गया ना इन गड्ढों को भरवाने का कोई आश्वासन ही दिया गया. रूआंसे हो कहते हैं अगर हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड इन गड्ढों को भरवा देता तो भले फसल नहीं उपजाते लेकिन कम से कम हमारे पशु तो चर लेते.

अंडर ग्राउंड माइनिंग से धंस रही जमीन

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अपने खेत से जुड़ी एक और जमीन की ओर इशारा कर कहते हैं- उसमें जगह-जगह 20 फीट 30 फीट के गड्ढे हैं. हैरत हुई जब इन गड्ढों को न कोई प्रशासनिक अधिकारी देखने आया ना जिंक प्रशासन. शिकायत भी की लेकिन कोई निराकरण नहीं हुआ. हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड में पहले ओपन खनन के दौरान दिन में 2 बजे ब्लास्टिंग होती थी लेकिन वर्तमान में अंदर ग्राउंड खनन हो रहा है ऐसे में सुबह 5 बजे और शाम को ब्लास्टिंग होती है.

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हम घर से सुबह बड़ी उम्मीद के साथ अपने खलियान में काम करने आते हैं लेकिन काम करते समय हमें हमेशा डर रहता है कि कहीं यह जमीन पेंदे में नहीं बैठ जाए और हम मौत के मुंह में नहीं समा जाए.

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