भीलवाड़ा. अपनी आंखों के सामने जमीन को बेरंग होते, बेजान होते देखना कितना तकलीफदेह होता है ये जहख क्षेत्र के किसानों से मिलकर पता चलता है. HZL की ब्लास्टिंग ने किसानों के सपनों को ही तार तार कर दिया है. ईटीवी भारत से मिले तो जमींदोज हुए खलियानों को दिखाया, मजबूरी गिनाई फिर राजनेताओं, प्रशासनिक अधिकारियों की शिकायत भी की.
हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड के खनन का असर आस पास के गांवों पर भी पड़ा है. हालात ये हैं कि बरसात में जमीन में नमी बढ़ जाती है और फिर धंस जाती है. इसका कारण अंडर ग्राउंड माइंस वर्क और ब्लास्टिंग बताया जा रहा है. किसान बेबस हैं. कहते हैं कि हालात गंभीर हैं. अपने ही खलियान में काम करने से अब हम डरते हैं. लगता है पता नहीं कहां से कब जमीन धंस जाए.
शिकायत ये भी है कि हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड के पास स्थित आगुचा, भेरू खेड़ा गांव में इस बार बारिश के मौसम में जमीन पेंदे में बैठ गई. कई जगह 50 फीट तो कहीं जगह 70 फीट गहरे ओर चौड़े गड्ढे हो रहे थे. यहां तक कि किसानों की शिकायत के बाद भी किसानों का हाल जानने न राजनेता पहुंचे न ही प्रशासनिक अधिकारी ने ही सुध ली.
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पृथ्वीराज नागला ने भारतीय जिंक लिमिटेड का आरोप है कि बार बार कहने के बावजूद उनका किसी ने हाल चाल नहीं जाना. इतने बड़े नुकसान पर अब तक न मुआवजा दिया गया ना इन गड्ढों को भरवाने का कोई आश्वासन ही दिया गया. रूआंसे हो कहते हैं अगर हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड इन गड्ढों को भरवा देता तो भले फसल नहीं उपजाते लेकिन कम से कम हमारे पशु तो चर लेते.
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