भीलवाड़ा. जिले के किसानों ने खरीफ की फसल के रूप में इस बार दलहनी फसलों की ज्यादा बुवाई की है. इसका सबसे बड़ा कारण यह रहा कि इस साल जून महीने में जिले में मानसून सक्रिय नहीं हुआ था. ऐसे में जुलाई के आते-आते पानी ना गिरने की आशंका को देखते हुए किसानों ने खेतों में दलहनी फसल बो दी. किसानों ने मूंग और उड़द को अधिक मात्रा में खेतों में बोया है. लेकिन मुसीबत इस बात की हो गई है कि अगस्त महीने में पूरे प्रदेश में मानसून सक्रिय हो चुका है. भीलवाड़ा में भी इन दिनों भारी बारिश हो रही है. ऐसे में बारिश की वजह से दलहनी फसलों में पीलापन रोग (मोजेक रोग) का प्रकोप बढ़ता जा रहा है. जिससे किसानों के चेहरे पर चिंता की लकीरें देखी जा रही है.
इन क्षेत्रों में पड़ा बुरा प्रभाव
ETV भारत की टीम ने भीलवाड़ा के शाहपुरा, आसींद और रायला क्षेत्र की फसलों की स्थिति का जायजा लिया. जहां खलियान में दलहनी फसलों के पत्ते पीले नजर आए. कई किसान तो उपचार के लिए कीटनाशक दवाइयों का छिड़काव भी करते नजर आए. किसानों का मानना है कि अगर यह प्रकोप बढ़ गया, तो इस साल की फसल पूरी तरह से बर्बाद हो जाएगी.
सरकार से राहत की उम्मीद
किसान लक्ष्मण बताते हैं कि उन्होंने 15 बीघा में उड़द की फसल बो रखी है. फसलों में पीलापन बढ़ता ही जा रहा है. ऊपर से आवारा जानवर भी परेशान कर रहे हैं. वहीं जिले के आसींद क्षेत्र के किसान कानाराम जाट ने ईटीवी भारत पर अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि पहले तो बरसात नहीं हुई, अब पीला रोग हो रहा है, जिससे फसल खराब हो गई है. किसानों का ध्यान रखने वाला कोई नहीं है. 20 बीघा में उड़द की फसल बोई है. इस साल कोरोना के चलते पहले ही फसल खेतों में रखे-रखे खराब हो गई है. वहीं कपास की फसलों में भी सूड़ी लगने लगी है. अगर उड़द की फसल चौपट हो गई, तो परिवार चलाना मुश्किल हो जाएगा. अब तो सरकार से ही कुछ राहत की उम्मीद है.
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