भीलवाड़ा.कोरोनाकाल में भीलवाड़ा शहर में कोई भी व्यक्ति भूखा न सो पाए इस भावना से भीलवाड़ा के नगर परिषद की ओर से किए जा रहे भोजन व्यवस्था का गुरुवार को भीलवाड़ा पुलिस अधीक्षक विकास शर्मा ने सिन्धू नगर स्थित गुरूद्वारे में भोजन पैकिंग व्यवस्था का निरीक्षण किया.
कोई भी व्यक्ति भूखा न सो पाए अभियान का निरीक्षण इस दौरान उन्होने भोजन पैकिंग में सहयोग भी किया और बाद में वितरित होने वाले खाने का स्वाद भी चखा. शर्मा ने नगर परिषद सभापति राकेश पाठक की इस कार्य के लिए सराहना भी की.
पुलिस अधीक्षक विकास शर्मा ने कहा कि सभापति राकेश पाठक ने जो बीड़ा उठाया है वो इंसानियत की सेवा है. कोरोना काल में हमें लॉकडाउन जैसी व्यवस्था से जीवन की रक्षा के साथ घर में रहने के कारण कोई भूखा न रह जाए ये भी देखना जरूरी है. भूखे व्यक्ति को भोजन उपलब्ध कराने से अच्छी सेवा कुछ नहीं हो सकती. इस तरह के मानवसेवा की भावना से होने वाले सामाजिक कार्यों में पुलिस महकमा भी साथ खड़ा रहकर सहयोग करने को संकल्पित हैं.
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हमें उम्मीद है कि आगे भी सभापति पाठक इस तरह जनसेवा का कार्य करते रहेगें. नगर परिषद सभापति राकेश पाठक ने कहा कि एक हजार भोजन के पैकेट वितरण से शुरू इस मुहिम में अब भोजन के पैकेट की संख्या 1700 से भी अधिक हो चुकी है.
इस कार्य से जुड़े सभी समाजसेवी ओर कार्यकर्ता एक ही लक्ष्य है कि संकट के इस वक्त में भीलवाड़ा में कोई भी व्यक्ति किसी भी हालत में भूखा न रह जाए. मुहिम के तहत भूखे-प्यासे परिंदों की सेवा के कार्य का भी किया जा रहा है. किसी भी क्षेत्र में किसी परिवार को भोजन की जरूरत की सूचना मिलने पर टीम के सदस्य तुरन्त उस परिवार तक भोजन के पैकेट पहुचाने की व्यवस्था में जुटे है. पुलिस अधीक्षक विकास शर्मा ने यहां आकर हमारा मनोबल बढाया उसके लिए हम उनका आभार व्यक्त करते है.
पुलिस अधीक्षक ने लिया खाने का जायजा पूर्व विधायक विवेक धाकड़ ने दिए ऑक्सीमीटर और थर्मल स्कैनर
कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर के दौर में फ्रंट लाइन में कार्य कर रहे कोरोना योद्धा के रूप में पुलिसकर्मियों को भीलवाड़ा जिले के मांडलगढ़ विधानसभा के पूर्व विधायक विवेक धाकड़ ने पहल करते हुए ऑक्सीमीटर और थर्मल स्कैनर प्रदान किए हैं. धाकड़ ने यह ऑक्सीमीटर और थर्मल स्कैनर शहर की रिजर्व पुलिस लाइन में जिले के पुलिस अधीक्षक विकाश शर्मा, सभी डीवाईएसपी और थाना प्रभारियों को सौंपा है, जिससे वह मौके पर ही व्यक्तियों की जांच करके आई एल आई मरीजों की पहचान कर सकें. जिसके कारण पुलिसकर्मी संक्रमण के खतरे से दूर रहेंगे.