भीलवाड़ा.प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत विधानसभा में बजट पेश करने वाले हैं जहां भीलवाड़ा जिले के वस्त्र, खनन और कृषि उद्यमियों को भी इस बजट से काफी अपेक्षाएं हैं. अब भीलवाड़ा वस्त्र नगरी के साथ-साथ खनन के क्षेत्र में भी उभरता हुआ जिला है, जहां काफी मात्रा में ग्रेनाइट खनन होता है. जिले के बिजोलिया क्षेत्र में सैंड स्टोन और करेड़ा क्षेत्र ग्रेनाइट के रूप में हब बनता जा रहा है. जहां मांडल विधानसभा क्षेत्र के करेड़ा क्षेत्र मे सैकड़ों ग्रेनाइट की खदानें हैं. इस बजट से ग्रेनाइट व्यवसायियों को भी काफी उम्मीद हैं.
ईटीवी भारत की टीम खनन क्षेत्र में पहुंची जहां इस बजट को लेकर ब्लैक ग्रेनाइट एसोसिएशन के सचिव ईश्वर गुर्जर ने बजट को लेकर अपेक्षा बताते हुए कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत अब बजट पेश करने वाले हैं, ऐसे में हमें भी काफी उम्मीद (Granite mining businessmen in Bhilwara) है. हम चाहते हैं कि खनन के दौरान उपभोग की जाने वाली बिजली का मिनिमम चार्ज हटाया जाए, खनन के दौरान बिजली का जितना उपभोग हो उतना ही हमारे बिजली का बिल आए और खनन में डंपिग का जो मलवा डालते हैं उनके लिए भी जमीन अलॉट की जाए.
ग्रेनाइट खनन व्यवसायियों ने बजट को लेकर दिए सुझाव वहीं खनन व्यवसाई मेवाराम ने कहा कि वैसी भी कोरोना से खनन व्यवसाय ठप हो गया है. लेकिन इस व्यवसाय को ओर डवलप करने के लिए सरकार जो बजट पेश करने वाली है जिसमें कुछ राहत प्रदान करनी चाहिए. जिस प्रकार राजस्थान सरकार में मुख्यमंत्री और मंत्री अन्य प्रदेश में संचालित उद्योगपतियों को राजस्थान में आने का न्योता दे रहे हैं और कह रहे हैं कि राजस्थान में अगर आप उद्योग स्थापित करते हो तो आपको बिजली व भूमि आवंटन में रियायत देंगे. जबकि यहां संचालित ग्रेनाइट खदान मालिकों को भी कुछ रियायत दें तो यहां के उद्योगों को भी बढ़ावा मिलेगा.
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ग्रेनाइट खनन के दौरान बिजली का उपभोग के अनुसार बिल आना चाहिए. हर खनन व्यवसाई ही नहीं पूरा प्रदेश में बिजली के बिलों से त्रस्त है. आज जो भी छोटा खनन व्यवसाई है उनको महीने का 50 हजार वह बड़े व्यवसाई को एक लाख रुपये से कम बिल नहीं आ रहा है. महंगाई के इस दौर में रॉयल्टी की दरें भी बढ़ा दी है, जिसके कारण माइनिंग का काम ठप हो गया है. सरकार ने हाल ही में बढ़ाई रॉयल्टी दरों से ग्रेनाइट की बिक्री काफी कम हो गई है. हमारी सरकार से मांग है कि इस बजट में ग्रेनाइट की बढी हुई रॉयल्टी दरों को कम करने का प्रावधान किया जाए.
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ब्लैक ग्रेनाइट खनन व्यवसाई एसोसिएशन संघ के सचिव ईश्वर गुर्जर ने कहा कि खनन शुरू करने के लिए पर्यावरण संस्कृति की काफी दिक्कत आ रही है. खनन व्यवसाय शुरू करने के पहले ईसी यानी एनवायरमेंट क्लीयरेंस लेना अनिवार्य है. ईसी लेने की भी अलग-अलग कैटेगरी है बी-2 केटेगरी में 5 माह में ईसी आ जाती है, जबकि B 1 कैटेगरी के अंदर ईसी मिलने में काफी समय लगता है. इसलिए हमारी सरकार से अपेक्षा है कि खनन शुरू करने के दौरान ईसी यानी एनवायरमेंट क्लीयरेंस के नियमों में सरलीकरण करना चाहिए या ईसी नहीं मिलती है तब तक एलोई में तारीख बढ़ाने का प्रावधान करना चाहिए.
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वर्तमान में उत्पादन के अनुसार बिक्री नहीं हो रही है. कोई भी खनन व्यवसाय खनन शुरू करने के लिए 2 से 4 वर्ष ईसी लेने में समय लग रहा है. साथ ही ग्रेनाइट खनन व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए सरकार को इस बजट में बाजार डवलप करने का प्रावधान करना चाहिए. ग्रेनाइट व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए रीको की तरह ग्रेनाइट रीको इंडस्ट्रीज होनी चाहिए. सरकार को लोगों को अवसर देना चाहिए, जिससे अधिक से अधिक खनन हो और अधिक से अधिक रोजगार मिले. साथ ही डंपिंग यार्ड की जमीन निशुल्क आवंटीत होनी चाहिए.