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स्पेशल रिपोर्ट: चाक की तरह चकरघिन्नी बनी कुम्हारों की जिंदगी, मिट्टी में तलाश रहे 'दो जून की रोटी' - Preparation of Deepawali in Bhilwara

इस दिपावली मिट्टी के दीये बनाने वाले बड़ी ही उम्मीद के साथ हर खरीदार को देख रहे हैं कि क्या ये उनके बनाए दीयों को खरीदेगा या इस बार भी चाइनिज लाइटों से अपने घरों को रौशन करेगा. जिससे इन कारीगरों के घरों में फिर से अंधेरा छाया रहेगा.

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Published : Oct 10, 2019, 5:01 PM IST

भीलवाड़ा. दीपावली की तैयारियां भीलवाड़ा जिले में जोरों पर चल रही हैं. भीलवाड़ा शहर के बाजार भी अब धीरे-धीरे सजने लग गए हैं. लेकिन, दीपावली पर विशेष तौर पर मिट्टी के कलश और दीपक का उपयोग लक्ष्मी पूजन में किया जाता है. जहां अपनी रोजी-रोटी की तलाश में भीलवाड़ा के प्रजापत समाज के लोग मिट्टी से दीपक निर्माण का कार्य शुरू कर दिया है.

मिट्टी में तलाश रहे दो जून की रोटी

यहां, प्रजापत समाज के कारीगरों ने ईटीवी भारत पर अपील करते हुए कहा कि इस बार पर्यावरण बचाने के लिए अधिक से अधिक मिट्टी के दीपक का उपयोग करें साथ ही हिंदू धर्म की मान्यता के अनुसार माता लक्ष्मी की पूजा करते समय मिट्टी के दीपक को ही उपयोग में लाएं. जहां, दीपक निर्माण करने वाले मजदूरों ने ईटीवी भारत पर अपनी पीड़ा जाहिर करते हुए कहा कि इस नवरात्रि में दीपक की बिक्री बहुत कम हुई है. लेकिन, अब दीपावली से काफी उम्मीदे हैं.

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दीपक बनाने वाली संतोष देवी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि हम दीपक बनाने में लग गए हैं. नवरात्रि में कम बिक्री हुई है. लेकिन, दीपावली से उम्मीद है जिसकी वजह से हम दीपक बना रहे हैं. आगे बताया कि चाइनीज लाइट चलने से हमारे पैतृक व्यवसाय पर फर्क पड़ने लगा है. हमेशा लोगों को भगवान की पूजा करते समय मिट्टी के दीपक का ही उपयोग करना चाहिए. हम इसी धंधे पर आश्रित हैं और इसी से हमारी रोजी-रोटी चलती है.

वहीं, सोहनी देवी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि दीपावली के लिए दीपक बना रहे हैं. इस बार बरसात के कारण नवरात्रि में दीपक की बिक्री नहीं हुई. चाइनीज लाइटों से हमारे रोजगार पर फर्क पड़ा है. अगर दीपक नहीं बिकेंगे तो हमारी दीपावली काली दीपावली हो जाएगी. वहीं, धीरे-धीरे दीपक की बिक्री कम होती जा रही है, जिससे हमे काफी संकट का सामना करना पड़ रहा है.

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जब ईटीवी ने युवा बेरोजगार लादू लाल प्रजापत से बात की तो उनका दर्द छलक पड़ा. उन्होंने कहा कि मैं स्नातकोत्तर बेरोजगार हूं. लेकिन, नौकरी नहीं मिलने के कारण मैं अपने पुश्तैनी काम में जुट गया हूं. मेरी सरकार से मांग है कि चाइनीज लाइटों पर बिल्कुल प्रतिबंध लगना चाहिए. मैं इस दीपावली से पहले लोगों से अपील करता हूं कि इस दीपावली पर अधिक से अधिक मात्रा में मिट्टी के दीपक का ही उपयोग करें, जिससे पर्यावरण शुद्ध रह सके और स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा रहे.

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उधर, इलेक्ट्रिक मोटर से दीपक बनाने वाले भेरू लाल प्रजापत ने ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए कहा कि हमने लगातार 10 दिन से दीपक बनाने का काम शुरू कर दिया है. प्रतिदिन 1000 से 1500 दीपक बनाते हैं. इसमें मिट्टी को दीपक बनाने तक काफी मेहनत करनी पड़ती है. नवरात्रि में दीपक की बिक्री काफी कम हुई है. दीपावली पर हमे आशा है कि इस बार अच्छी बिक्री होगी. क्योंकि हमें रोजी-रोटी इससे ही मिलती है. उन्होने आगे बताया कि यह हमारा पुश्तैनी काम है. अब देखना यह होगा कि आने वाली दीपावली पर लोग पर्यावरण बचाने और प्रकृति को शुद्ध रखने के लिए चाइनीज लाइटों का बहिष्कार कर मिट्टी के दीपक का कितना उपयोग करते हैं.

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