भीलवाड़ा. जिले में सोमवार को गोपाष्टमी के अवसर पर गौशालाओं के साथ ही महिलाओं ने कई जगहों पर बछड़े सहित गौ माता की पूजा की. इस दौरान गौ भक्तों ने भगवान श्री कृष्ण का ध्यान लगाते हुए सुख-शांति की कामना भी की.
भीलवाड़ा में मनाई गई गौपाष्टमी शहर में स्थित राम धाम गौशाला में गौ भक्तों ने गौ माता को फूल मालाएं पहनाकर पूजा-अर्चना की. साथ ही हरा चारा, हरी सब्जियां, गुड़ दलिया और लापसी आहार खिलाकर गोपाष्टमी मनाई गई. इस गौशाला के सदस्य दामोदर अग्रवाल ने बताया कि गोपाष्टमी के पहले भगवान श्री कृष्ण बछड़े को चराने जाते थे. गोपाष्टमी के ही दिन उन्होंने गायों को चराना शुरू किया था. हमारी संस्कृति में गाय को माता का दर्जा दिया जाता है.
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गोपाष्टमी के ही के दिन बछड़े सहित गायों का पूजन करने से घर में सुख-शांति का वास होता है. वहीं अग्रवाल ने यह भी कहा कि शहर के राम धाम स्थित गौशाला में सुबह से ही गौ माता की पूजा-अर्चना की जा रही है. यहां पिछले 30 सालों से गौमाता का पर्व गोपाष्टमी मनाया जा रहा है. हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी 20 दिनों तक गौ माता की पूजा-अर्चना की जाएगी.
बता दें कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की अष्टमी को गोपाष्टमी का आयोजन किया जाता है. मुख्य रूप से यह गौ पूजन से जुड़ा पर्व है. इस दिन को गाय की पूजा-अर्चना की जाती है. कहा जाता है कि भगवान कृष्ण ने इस दिन से ही गौ माता को चराना आरंभ किया था. इससे पहले वे केवल गाय के बछड़ों को ही चराते थे.
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इस दिन गौ और उनके बछड़ों का सिंगार करके उनकी आरती उतारी जाती है. कहा जाता है कि गौ के शरीर में अनेक देवताओं का वास होता है. इसलिए गौ की पूजा करने से देवताओं की भी पूजा स्वयं हो जाती है.