भीलवाड़ा. देशों की सीमाएं लांग कर सात समुंदर पार से आए प्रवासी पक्षियों का एक नजारा भीलवाड़ा में देखने को मिला. मंगलवार को पक्षी महोत्सव का आगाज चावंडिया में हुआ. जहां देशभर के पक्षी विशेषज्ञ और पक्षी प्रेमी कार्यक्रम में शिरकत करने पहुंचे, तो दूसरी ओर भीलवाड़ा के सेठ मुरलीधर मानसिंहका राजकीय महाविद्यालय में पक्षी फोटो, डाक टिकट प्रदर्शनी और कार्यशाला का भी आयोजन हुआ.
भीलवाड़ा में लगा पक्षी प्रेमियों का तांता कार्यशाला का वन विभाग अधिकारी देवेंद्र प्रताप जगावत ने फीता काटकर उद्घाटन किया. यह प्रदर्शनी वन विभाग और जलधारा विकास संस्था के तत्वाधान में आयोजित की गई थी. प्रदर्शनी में जहां छात्राओं ने बनाई पेंटिंग और कलेक्शन के डाक टिकट लगाए, तो वहीं कार्यशाला में देश भर से आए पक्षी विशेषज्ञों ने पक्षियों के बारे में जानकारी दें.
भीलवाड़ा में कोटा राजकुमार बस्ती चावंडिया गांव में करीब 70 से अधिक प्रजातियों के पक्षियों के कलरव का मौसम में लोगों ने हजारा देखा. इस दौरान आधा दर्जन से अधिक विदेशी पक्षियों की जय चाहती सुनी और जल कलरव देख लोग आनंदित हुए. पक्षी महोत्सव के आयोजक करता महेश नहवाल कहा कि इस पक्षी महोत्सव का मुख्य उद्देश्य यही है कि आमजन का पक्षियों से जुड़ाव हो जिसके कारण आने वाले समय में पक्षियों का संरक्षण किया जा सके.
पक्षी महोत्सव के तहत सुबह चावंडिया गांव में पक्षी दर्शनी का कार्यक्रम किया गया था जिसमें जिला कलेक्टर राजेंद्र भरतपुर पुलिस अधीक्षक हरेंद्र महावर ने शिरकत की वहीं देश-विदेश से आए पक्षियों को देखने के लिए कई पक्षी विशेषज्ञ भी आए. मंगलवार को चावंडिया गांव में 4 प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया. वहीं इसके बाद मुरलीधर मानसिंहका राजकीय कन्या महाविद्यालय में पक्षी फोटो प्रदर्शनी एवं पक्षी डाक टिकट प्रदर्शनी का आयोजन किया गया. प्रसिद्ध टिकट प्रदर्शनी लगाई गई.
वहीं दूसरी ओर प्रदर्शनी लगाने वाली छात्रा रिधम और रिमझिम ने कहा कि अपनी कल मेरा बचपन से पक्षियों के प्रति लगाव हो रहा है. इसको लेकर आज तक जितने भी डाक टिकट और स्टांप पक्षियों पर निकाले गए हैं, उनका मैंने कलेक्शन किया है जिनको आज प्रदर्शनी में लगाए हैं, यूं तो आज के युग में सभी डांस सिंगिंग और खेलों में लगे हुए हैं पर मेरा लगाओ ज्यादा पक्षियों के बीच रहा है इसलिए मैं आने वाले समय में पक्षों के लिए कुछ करना चाहूंगी.
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बता दें कि भीलवाड़ा जिले भर में यह पक्षी प्रवास पर आते हैं राजहंस , सरपट्टी , सावन, सारस , टीकड़ी , नकटा , सिंखपर , छोटी बुलबुल ,लोहारंजग ,जाघील, घोंघील , चमचा , हाजी लगलग , नीलसर , सफेद हवासील , छोटी मुर्गाबि , तिदारी बत्तख , गिर्रि बत्तख , छोटी लालसिर बत्तख , छोटी सीलही , चैता बत्तख , बत्तख जामुनी , मूल मुर्गी , सफेद छाती जल मुर्गी , सामान्य जल मुर्गी, जल पीपी , सफेद बुजा , पीहो , काला बुजा कौआरी बुजा , छोटा सूरमा चौराहा , सिलेटी अंजन नरी अंजन बड़ा हंसवर , गज पाऊं , करछिया बुलबुल , यूरेशियाई कर्वन , अंधा बगुला , जल कुररी , समान्य खुसट , करेल उल्लू , कोयल , बड़ा महोक , कुहार भटतीतर , टूटरु ,इट कोहरी फाख्ता , धवर फाख्ता , हरा पतरंग , कंठी वाला तोता , तूतिया तोता, हुद हुद ठठेरा बंसथा , सिलेटी धनेश, सामान्य चिल , सफेद गिद्ध , देसी गीद्ध , कपासी चिल , लाल तरुपिंक , छोटा राजालाल , देसी नीलकंठ , देसी नवरंग , किंगफिशर ,सफेद चुन्नी ,दूधराज , शोबीगी , दयाल गुलाबी मैना , सामान्य बयां , छोटे पत्थर चटा शादाब , मुनिया , मनिया तीतर , जंगली लवा लीशहारा अबाबील.