भीलवाड़ा.जिले के आरजिया गांव के पास स्थित बारानी कृषि अनुसंधान केंद्र ने अनूठी पहल की है. इस अनुसंधान केंद्र में राजस्थान के पहले बायोगैस प्लांट की शुरुआत हुए 1 साल हो गया है. यहां रोजाना 120 क्यूबिक मीटर बायोगैस बनाई जाती है.
शहर की सड़ी-गली सब्जियों और एग्रो वेस्ट से इस गैस का उत्पादन किया जा रहा है. जो पूरे राजस्थान के लिए प्रेरणा स्रोत बना हुआ है. अगर इसी तरह राजस्थान के अन्य जिलों में भी एग्रो वेस्ट प्लांट लग जाए तो निश्चित रूप से जो धरती में आवश्यक पोषक तत्व की कमी है. उसकी भी पूर्ति हो सकती है और सड़ी गली सब्जियों का उपयोग भी हो सकता है.
बता दें कि भीलवाड़ा की बारानी कृषि अनुसंधान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक अनिल कोठारी ने ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए कहा कि इस प्लांट की शुरुआत हुए 1 वर्ष हो चुका है. यह आरके. के. वाई के तहत इस प्लांट की शुरुआत हुई. यह राजस्थान में पहला प्लांट है, जिनकी राजस्थान सरकार द्वारा फाइनेंस करने पर ही इसकी शुरुआत हुई.
ढाई करोड़ रुपए का प्लांट...
कोठारी ने बताया कि यह ढाई करोड़ रुपए का प्लांट है. इसका लोकार्पण 17 मार्च 2018 को हुआ था. लोकार्पण के बाद से ही इस प्लांट में 120 क्यूबिक मीटर बायोगैस प्रतिदिन बनती है. जहां 120 क्यूबिक मीटर का बायोगैस बनाने के लिए 3 टन से लगभग कचरा और बायोवेस्ट डालकर इस प्रकार की गैस बनाई जाती है. इसके प्रमुख उद्देश्य के सवाल पर कोठारी ने कहा कि वर्तमान में अपनी धरती में जो आवश्यक पोषक तत्व लेते हैं. वह वापस धरती को मिल जाए, यानि कि जो भी सड़ी गली हरी सब्जियां फल जो भी हैं. उनके आवश्यक पौष्टिक तत्व धरती को नहीं मिलते हैं. इसलिए उनके वेस्ट को अपने यहां लाकर वेस्ट का वापिस डी कंपोज किया जाता है. उन्होंने कहा कि हमारा उद्देश्य है कि शहर को स्वच्छ बनाना तथा उर्जा के मामले में आत्मनिर्भर होना. यहां प्रतिदिन 120 क्यूबिक मीटर गैस का उत्पादन होता है. जिसमें 3 टन सब्जियां ,गोबर और एग्रोवेट से गैस का उत्पादन हो रहा है .साथ ही इससे शहर का पर्यावरण स्वच्छ बनाया जा सके.